लखनऊ, 30 अगस्त (ए)। नेशनल क्राइम रिकार्ड के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश दंगा मुक्त प्रदेश हो गया है। प्रदेश में अन्य राज्यों की तुलना में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं करीब-करीब खत्म हो गई हैं। लेकिन महिलाओं के प्रति अपराध में सबसे आगे है। महिलाओं के प्रति अपराध के सबसे ज्यादा 56083 केस हुए हैं।
प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा की सिर्फ एक घटना हुई, जबकि अन्य राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा का ग्राफ कहीं ज्यादा रहा। सांप्रदायिक हिंसा की झारखंड में 77, बिहार में 51, हरियाणा में 40 घटनाएं सामने आएं। देश में महाराष्ट्र सबसे ज्यादा सांप्रदायिक हिंसा से प्रभावित रहा। वहां 378 केस सामने आए।
प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि देश में आईपीसी के कुल 36 लाख 63 हजार 360 मामले दर्ज हुए। यूपी में आईपीसी के 3.57 लाख केस दर्ज हुए, जो एक लाख की जनसंख्या पर 154.5 फीसदी है और देश में यूपी 23वें स्थान पर है। प्रदेश में एसिड अटैक की कुल 22 घटनाएं हुईं और अपहरण की 50 घटनाएं हुईं। इन दोनों अपराधों में राज्य 36वें स्थान पर है।
एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध होने वाले अपराधों में भी सुधार हुआ है। बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध में प्रदेश 28वें स्थान पर और पाक्सो एक्ट के मामले में 6.3 क्राइम रेट के साथ 21वें स्थान पर रहा। महिलाओं के विरुद्ध अपराध में 16वें स्थान पर है। दुराचार के 2845 मुकदमों के साथ राज्य 23वें स्थान पर रहा जबकि शीलभंग के अपराध में राज्य 19वें स्थान पर है।
प्रशांत कुमार ने कहा कि लगातार कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर की जा रही कड़ी कार्रवाई का नतीजा है कि राज्य में हत्या के मामलों में लगातार कमी आ रही है। हत्या के राज्य में कुल 3717 अपराध घटित हुए, जिसका क्राइम रेट 1.6 रहा और राज्य 24वें स्थान पर रहा। पुलिस की लगातार गश्त बढ़ने और पीआरवी की सक्रियता के चलते चोरी की घटनाएं बहुत कम हुईं और राज्य 33वें स्थान पर रहा।