छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के आदेश को एक सप्ताह के भीतर बदला प्रदेश प्रभारी ने

राष्ट्रीय
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रायपुर,22 जून (ए) छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी दल कांग्रेस की प्रभारी कुमारी सैलजा ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम के संगठन में फेरबदल के आदेश को निरस्त कर दिया है। कांग्रेस के सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।.

सूत्रों के मुताबिक इसे राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी दल कांग्रेस में सत्ता और संगठन के बीच टकराव के रूप में देखा जा रहा है।.

कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस के कमेटी के अध्यक्ष मरकाम ने इस महीने की 16 तारीख को संगठन में फेरबदल का आदेश जारी किया था, इस आदेश के मुताबिक कांग्रेस नेता और महामंत्री अरुण सिसोदिया को राजनांदगांव जिले के प्रभारी से प्रभारी महामंत्री प्रशासन और संगठन के पद पर, प्रभारी महामंत्री प्रशासन रवि घोष को प्रभारी बस्तर संभाग के पद पर, प्रभारी महामंत्री संगठन अमरजीत चावला को प्रभारी रायपुर शहर यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के पद पर, उपाध्यक्ष और प्रभारी रायपुर शहर प्रतिमा चंद्राकर को प्रभारी राजनांदगांव के पद पर, महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला को प्रभारी मोहला मानपुर के पद पर तथा महामंत्री और प्रभारी कोंडागांव यशवर्धन राव को प्रभारी प्रशिक्षण के पद पर नियुक्त किया था।

उन्होंने बताया कि मरकाम के इस आदेश के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने नाराजगी जाहिर थी।

सूत्रों ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष के नए आदेश के बाद राज्य प्रभारी कुमारी सैलजा ने मोहन मरकाम को पत्र लिखकर 16 जून के आदेश को निरस्त कर दिया है।

उन्होंने बताया कि सैलजा ने मरकाम को संबोधित करते हुए पत्र में कहा है, ”आपके पत्र क्रमांक संख्या 108/2023 दिनांक 16 जून 2023 को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी में पदाधिकारियों की नियुक्ति के आदेश को निरस्त किया जाता है।”

कांग्रेस महासचिव ने लिखा है, ”छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी में श्री रवि घोष जी को महामंत्री प्रभारी, प्रशासन एवं संगठन के पद का प्रभार दिया जाए। कृपया यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू किया जाए।”

कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि यह फैसला बृहस्पतिवार देर शाम मुख्यमंत्री आवास पर हुई एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान आया।

उन्होंने बताया कि बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कुमारी सैलजा, मोहन मरकाम समेत कुछ मंत्री भी मौजूद थे।

छत्तीसगढ़ में साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होंगे। कांग्रेस में इस फैसले को पार्टी के अंदर की खींचतान के नतीजे के तौर पर देखा जा रहा है।