जमीन की आवाज को समझने वाली सरकार ही ‘धरती पुत्र’ को भारत रत्न दे सकती है: जयंत

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नयी दिल्ली: 10 फरवरी (ए) राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होने की संभावनाओं के बीच, उत्तर प्रदेश के इस क्षेत्रीय दल के प्रमुख जयंत चौधरी ने शनिवार को अपने दादा व पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को ‘भारत रत्न’ से नवाजे जाने की घोषणा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना की।चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने के फैसले पर राज्यसभा में सरकार को धन्यवाद देने के साथ ही जयंत ने कहा कि चरण सिंह को ‘भारत रत्न’ देने भर से किसानों की समस्याओं व उनकी चुनौतियों का समाधान तो नहीं निकलता है लेकिन इससे आने वाले सालों में झोपड़ियों में पैदा होने वाले व्यक्ति को भी चौधरी चरण सिंह बनने, ‘भारत रत्न’ पा सकने और समस्याओं के समाधान का हौसला जरूर मिलेगा.उन्होंने कहा, ‘‘मैं कहना चाहता हूं कि एक जमीनी सरकार. जो जमीन की आवाज को समझती है और बुलंद करना चाहती है. ऐसे ही सरकार धरतीपुत्र चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दे सकती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम चौधरी चरण सिंह जैसी शख्सियत को किसी गठबंधन के बनने और टूटने, चुनाव लड़ने और जीतने तक सीमित रखना चाहते हैं. लेफ्ट, राइट और सेंटर में ही हम बंटे रहेंगे तो देश के असली धरतीपुत्र का हम सम्मान कैसे रख पाएंगे?’’जयंत ने कहा कि वह 10 साल से विपक्ष में थे और आज कुछ ही देर इस ओर (सत्तापक्ष) बैठे हैं लेकिन उन्होंने देखा है कि 10 साल से आज जो सरकार है, उसकी कार्यशैली में भी चौधरी चरण सिंह के विचारों की झलक है. उन्होंने कहा, ‘‘जब प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) जी ग्रामीण क्षेत्र में शौच की दुर्व्यवस्था पर प्रकाश डालते हैं. जब महिला सशक्तिकरण को भारत सरकार अपना मंच बनाती है और गांव-गांव में जागृति पैदा करती है तो मुझे उसमें चरण सिंह की बोली याद आती है.’’जयंत ने कहा कि चौधरी चरण सिंह ने महात्मा गांधी के विचारों को अपना उसूल बनाया, उनके ग्राम स्वराज को अपना मूलमंत्र बनाया और लाल बहादुर शास्त्री की ईमानदारी को अपने चरित्र में आत्मसात किया. उन्होंने कहा कि चौधरी साहब को भारत देने का फैसला ‘बहुत बड़ा’ है, जिससे वह तो प्रसन्न हैं ही, सभापति जगदीप धनखड़ भी व्यक्तिगत तौर पर ‘गदगद’ होंगे. उन्होंने कहा, ‘‘यह भाव सदन तक सीमित नहीं है। देश के हर कोने में इस निर्णय की गूंज पहुंची है और गांव-गांव में दिवाली मनाई गई है.यहां तक कि कनॉट प्लेस में भी किसानों ने गुड़ और मिठाइयां बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह फैसला सिर्फ चौधरी चरण सिंह के परिवार तक सीमित नहीं है बल्कि देश का किसान और वंचित समाज का व्यक्ति जो आज भी मुख्यधारा में नहीं है, यह उनको सशक्त करने वाला फैसला है.’’ जयंत जब अपनी बात रख रहे थे तब कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने इस बात पर आपत्ति जताई कि उन्हें किस नियम के तहत बोलने का अवसर दिया गया.विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि जिन भी शख्सियतों को भारत रत्न देने की घोषणा की गई है उस पर कोई विवाद नहीं है और वह सभी को सलाम करते हैं लेकिन किस नियम के अधीन जयंत चौधरी को बोलने का मौका दिया गया. उन्होंने कहा कि विपक्ष के सदस्य नियमों के अधीन भी मुद्दा उठाना चाहते हैं तो उन्हें ‘चुप’ करा दिया जाता है. उन्होंने आसन के व्यवहार पर सवाल उठाए, जिस पर सभापति धनखड़ ने गहरी आपत्ति जताते हुए कहा कि इससे उन्हें बहुत ठेस पहुंची है.सभापति ने सदन को बताया कि जयंत चौधरी ने सुबह उन्हें एक पत्र लिखा था कि वह चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा पर सदन में ‘कुछ’ बोलना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जयंत चौधरी चरण सिंह के पोते हैं इसलिए उन्होंने उन्हें बोलने का मौका दिया. इस मुद्दे पर सदन में कुछ देर अव्यवस्था का माहौल रहा. केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने आरोप लगाया कि कांग्रेस एक किसान पुत्र को भारत रत्न देने के फैसले का भी विरोध कर रही है.उन्होंने कहा, ‘‘इस देश के किसान की आवाज को रोकने वाला कोई पैदा नहीं हुआ है और ना ही पैदा होगा.’’ रुपाला ने कहा कि कांग्रेस के सदस्य यह बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं कि मोदी सरकार ने एक किसान को भारत रत्न दे दिया. सदन के नेता पीयूष गोयल ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा और खरगे पर आरोप लगाया कि उन्होंने भारत रत्न पाने वाली शख्सियतों के लिए ‘ओछी’ टिप्पणी की. उन्होंने विपक्ष के नेता से उनकी टिप्पणियों के लिए सदन और देश से माफी मांगने की मांग की.गोयल की टिप्पणियों पर सदन में कुछ देर हंगामा भी हुआ. इसके बाद सभापति ने सदन में व्यवस्था बनाई और जयंत चौधरी से अपनी बात रखने को कहा. चौधरी ने कहा कि सदन की कार्रवाई के दौरान विपक्षी सदस्यों के आचरण से वह बहुत दुखी हैं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इंदिरा गांधी जिस प्रकार की करिश्माई शख्सियत थीं और लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती थीं उसी प्रकार चौधरी चरण सिंह थे जिन्हें सुनने और छूने के लिए दूर-दूर से, गांव-गांव से लोग चले आते थे.जयंत ने कहा कि कुछ लोग मानते हैं कि चौधरी चरण सिंह जाटों के नेता थे और सिर्फ किसानों की वकालत करते थे लेकिन ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा कि वह एक विचारक थे. उन्होंने कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि आज किसानों की जो समस्याएं और चुनौतियां हैं, भारत रत्न देकर उनका हल नहीं निकलता. लेकिन आने वाले सालों में झोपड़ी में पैदा होने वाला व्यक्ति जब यह कहेगा कि उसके जैसा व्यक्ति भी चौधरी चरण सिंह बन सकता है, उसे भी भारत रत्न मिल सकता है. वह भी समस्याओं का समाधान करने में सक्षम हो सकता है. यह बहुत बड़ी जीत हासिल हुई है.’’