नये संसद भवन को संवारने में मिर्जापुर की कालीन से लेकर राजस्थान के पत्थर तक का इस्तेमाल हुआ

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नयी दिल्ली, 26 मई (ए) नये संसद भवन में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की कालीन, त्रिपुरा के बांस से बने फर्श और राजस्थान के पत्थर की नक्काशी भारत की संस्कृतिक विविधता को दर्शाती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को नये संसद भवन का उद्घाटन करेंगे।.

नये संसद भवन में प्रयुक्त सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से लाई गई थी, जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से प्राप्त किया गया था।.

राष्ट्रीय राजधानी में लाल किले और हुमायूं के मकबरे के लिए बलुआ पत्थर भी सरमथुरा से लाया गया था।

केशरिया हरा पत्थर उदयपुर से, अजमेर के निकट लाखा से लाल ग्रेनाइट और सफेद संगमरमर अंबाजी राजस्थान से मंगवाया गया है।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘एक तरह से लोकतंत्र के मंदिर के निर्माण के लिए पूरा देश एक साथ आया, इस प्रकार यह ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत की सच्ची’ भावना को दर्शाता है।’’

लोकसभा और राज्यसभा कक्षों में ‘फाल्स सीलिंग’ के लिए स्टील की संरचना केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव से मंगाई गई है, जबकि नये भवन के लिए फर्नीचर मुंबई में तैयार किया गया था।

इमारत पर लगे पत्थर की ‘जाली’ राजस्थान के राजनगर और उत्तर प्रदेश के नोएडा से मंगवाई गई थी।

अशोक चिह्न के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से लाई गई थी, जबकि संसद भवन के बाहरी हिस्सों में लगी सामग्री को मध्य प्रदेश के इंदौर से खरीदा गया था।

पत्थर की नक्काशी का काम आबू रोड और उदयपुर के मूर्तिकारों द्वारा किया गया था और पत्थरों को कोटपूतली, राजस्थान से लाया गया था।

नये संसद भवन में निर्माण गतिविधियों के लिए ठोस मिश्रण बनाने के लिए हरियाणा में चरखी दादरी से निर्मित रेत या ‘एम-रेत’ का इस्तेमाल किया गया था।

‘एम रेत’ कृत्रिम रेत का एक रूप है, जिसे बड़े सख्त पत्थरों या ग्रेनाइट को बारीक कणों में तोड़कर निर्मित किया जाता है जो नदी की रेत से अलग होता है।

निर्माण में इस्तेमाल की गई ‘फ्लाई ऐश’ की ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगवाई गई थीं, जबकि पीतल के काम लिए सामग्री और ‘पहले से तैयार सांचे’ गुजरात के अहमदाबाद से लिये गये।