भारतीय न्यायपालिका आर्थिक कल्याण और व्यक्तिगत अधिकारों को पूरक मानती है: न्यायाधीश

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: 30 मार्च (ए) उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश हिमा कोहली ने कहा है कि भारतीय न्यायपालिका यह मानती है कि सच्चे मायने में आर्थिक विकास तात्कालिक लाभ हासिल करना नहीं, बल्कि इसमें एक स्थायी दृष्टिकोण शामिल है।

उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक कल्याण और व्यक्तिगत अधिकार परस्पर अनन्य नहीं हैं।न्यायमूर्ति कोहली ने ‘अमेरिकन बार एसोसिएशन (एबीए)-इंडिया कॉन्फ्रेंस 2024’ में कहा कि न्यायपालिका ने सतत विकास मॉडल के समर्थन के प्रति अपना झुकाव प्रदर्शित किया है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि निरंतरता को बढ़ावा देने वाले कानूनों और सिद्धांतों को बरकरार रखते हुए भारतीय न्यायपालिका इस उद्देश्य को सशक्त बनाती रही है कि दीर्घकालिक आर्थिक समृद्धि को पर्यावरणीय प्रबंधन और सामाजिक कल्याण से अलग नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय न्यायपालिका का दृष्टिकोण व्यापक सोच वाला है। यह (न्यायपालिका) स्वीकार करती है कि वास्तविक आर्थिक विकास तत्काल लाभ के लिए नहीं है, बल्कि इसमें एक स्थायी दृष्टिकोण शामिल है, जो बड़े पैमाने पर समाज को लाभ पहुंचाता है।’’

न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी, विशेष रूप से न्यायिक सहयोग और कानून के शासन के लिए पारस्परिक सम्मान के जरिये, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का एक जबरदस्त अवसर प्रदान करती है।