सीबीआई ने सासाराम में व्यक्ति की हत्या मामले की जांच संभाली, पुलिस उपाधीक्षक पर है आरोप

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: 13 अगस्त (ए)) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पिछले साल दिसंबर में रोहतास जिले के सासाराम में एक रात्रिभोज पार्टी में बिहार पुलिस के एक उपाधीक्षक और उनके अंगरक्षक द्वारा एक व्यक्ति की कथित तौर पर हत्या की जांच अपने हाथ में ले ली है। यह जानकारी अधिकारियों ने बुधवार को दी।

एजेंसी ने राज्य पुलिस की तीन प्राथमिकी अपने मामले के रूप में दोबारा दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। इनमें से दो पुलिस अधिकारियों के बयान के आधार पर दर्ज की गई हैं जबकि एक पीड़ित के भाई द्वारा दर्ज करायी गई है।

मामला इस आरोप पर केंद्रित है कि राणा ओम प्रकाश और उनके दोस्त अपने मित्र शिवम सिंह का जन्मदिन मनाने के लिए इकट्ठा हुए थे, तभी उपाधीक्षक (यातायात) आदिल बिलाल और उनके अंगरक्षक चंद्रमौली नागिया अज्ञात व्यक्तियों के साथ वहां पहुंचे और पूछताछ शुरू कर दी।

आरोप है कि जब ओम प्रकाश और उनके दोस्तों ने इसका विरोध किया, तो बिलाल और नागिया ने उन्हें धमकाया और अचानक सर्विस रिवॉल्वर से गोली चला दी, जिसमें प्रकाश की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो अन्य अतुल सिंह और विनोद पाल घायल हो गए।

नागिया के बयान के अनुसार, वह और बिलाल एक बाइक सवार का पीछा करते हुए उस परिसर में पहुंचे थे, जहां प्रकाश और अन्य मौजूद थे। नागिया के बयान के अनुसार, पुलिस को देखते ही, प्रकाश और उसके साथियों ने नागिया और बिलाल पर हमला किया और उनकी सर्विस रिवॉल्वर छीनने की कोशिश की।

नागिया ने अपने बयान के आधार पर दर्ज प्राथमिकी में कहा था कि झड़प के दौरान रिवॉल्वर अचानक चल गई और भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया, जिसके बाद जान बचाने के लिए उन्हें गोली चलानी पड़ी।

पटना उच्च न्यायालय ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपते हुए कहा था, ‘‘इस मामले में स्वीकार किए गए तथ्य यह हैं कि घटनास्थल पर एकत्रित हुए एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। गोलीबारी का आरोप मोहम्मद आदिल बिलाल, उप पुलिस उपाधीक्षक (यातायात) पर है, जिन पर बिना उकसावे के गोलीबारी करने का आरोप है।।’’

न्यायमूर्ति संदीप कुमार ने कहा था कि दो और प्राथमिकी दर्ज की गई हैं-एक उपाधीक्षक के अंगरक्षक द्वारा और दूसरी स्थानीय थाना प्रभारी द्वारा-जो यह दर्शाती है कि घटना घटित होने की बात स्वीकार की गई है।

न्यायमूर्ति कुमार ने कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस उस उपाधीक्षक को बचाने की कोशिश कर रही है, जिस पर ओम प्रकाश पर गोली चलाने का आरोप है।

न्यायाधीश ने कहा था कि वर्तमान मामले में प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस शुरू से ही याचिकाकर्ता द्वारा अपने भाई की हत्या को लेकर दर्ज कराये गए मामले को गलत साबित करने की कोशिश कर रही है।

उन्होंने कहा था, ‘‘वर्तमान मामले में पुलिस अधिकारी स्वयं आरोपी हैं। याचिकाकर्ता द्वारा यह कहना अनुचित नहीं है कि सच्चाई सामने लाने के लिए घटना की गहन जांच की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सीबीआई जैसी एक सक्षम, विश्वसनीय, निष्पक्ष निकाय द्वारा वास्तविक सच्चाई उजागर करके न्याय सुनिश्चित किया जाए।’’