अदालत ने बलात्कार के आरोपी को बरी किया, महिला के खिलाफ झूठी गवाही की कार्यवाही का आदेश

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: तीन जुलाई (ए)।) दिल्ली की एक अदालत ने बलात्कार के आरोपी को बरी करते हुए उसके खिलाफ ‘‘झूठी कहानी गढ़ने’’ के आरोप में महिला पर झूठी गवाही की कार्यवाही करने का अदोश दिया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुज अग्रवाल ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को मामले की जांच करने और सुधारात्मक कार्रवाई करने को कहा।अदालत ने दो जुलाई को अपने आदेश में अमेरिकी अटॉर्नी एफ ली बेली के कथन को उद्धृत किया और कहा, ‘‘अदालत में, सत्य अकसर प्रक्रिया में खो जाता है। शपथ का उद्देश्य सत्य की रक्षा करना है, लेकिन लोग ईश्वर के नाम पर भी झूठ बोल जाते हैं।’’

अदालत ने कहा कि यह कहावत इस मामले पर पूरी तरह लागू होती है।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘बलात्कार के झूठे आरोपों से न केवल लंबित मामलों पर अनावश्यक बोझ पड़ता है, बल्कि वास्तविक बलात्कार पीड़िताओं के साथ भी घोर अन्याय होता है, क्योंकि इससे बहुमूल्य न्यायिक समय और राज्य के सीमित संसाधनों का दुरुपयोग होता है।’’

अदालत ने कहा कि आरोपी से पैसे ऐंठने के लिए महिला के साथ पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत की बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

संबंधित व्यक्ति पर बलात्कार, महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने तथा उसके कपड़े उतारने के इरादे से उस पर हमला करने का मामला दर्ज किया गया था।

उस पर आरोप लगाया गया था कि उसने वैवाहिक पोर्टल के माध्यम से महिला से मुलाकात की और बाद में अलग-अलग तारीखों पर उसके साथ बलात्कार किया।

यह बात रिकॉर्ड में आई कि महिला ने अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भी इसी प्रकार की चार प्राथमिकी दर्ज कराई थीं तथा वैवाहिक पोर्टल पर वैवाहिक प्रोफाइल बनाए जाने से पहले वह आरोपी के साथ टेलीफोन पर संपर्क में थी।

आदेश में कहा गया कि शिकायतकर्ता अपना वैवाहिक प्रोफाइल बनाने से पहले ही दो बार शादी कर चुकी थी, जिसमें उसने स्वयं को अविवाहित बताया था तथा अपने नाम में भिन्नता के साथ अलग-अलग पहचान का उपयोग किया था।

अदालत ने कहा कि उसके खिलाफ दो आधार कार्ड रखने का मामला दर्ज किया गया था।

इसने कहा कि उसके फ्लैट के आसपास लगे सीसीटीवी में बलात्कार की कथित तारीख पर आरोपी की उपस्थिति नहीं दिखी।

यह भी पाया गया कि प्राथमिकी दर्ज होने से काफी पहले से वह स्थानीय पुलिस अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में थी।

आदेश में कहा गया कि यह स्पष्ट है कि महिला ने बलात्कार/छेड़छाड़ की झूठी कहानी गढ़कर अदालत के समक्ष झूठा बयान दिया।

इसने कहा कि केवल बरी कर देने से न्याय का हित नहीं होगा, क्योंकि कानून का उद्देश्य न केवल दोषियों को दंडित करना है, बल्कि निर्दोष की गरिमा की रक्षा करना भी है।

अदालत ने शिकायतकर्ता के खिलाफ झूठी गवाही की कार्यवाही का आदेश देते हुए कहा कि उसने शपथ लेकर झूठ बोला।