अधिवक्ता नामांकन के लिए विधि स्नातकों से 600 रुपये से अधिक शुल्क नहीं ले सकते: न्यायालय

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली, 12 मई (ए) सीमित पारिवारिक आय वाले विधि स्नातकों को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि राज्य बार काउंसिल उनसे नियमों के तहत निर्धारित 600 रुपये से अधिक नामांकन शुल्क नहीं ले सकती है।.

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने सभी राज्य बार काउंसिल को नोटिस जारी किया और उनसे जानना चाहा कि वे विधि स्नातकों से नामांकन शुल्क के रूप में कितना शुल्क लेते हैं और उनसे एक वर्ष में कितना हपैसा एकत्र किया जाता है।.पीठ ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम के अनुसार, निर्धारित नामांकन शुल्क 600 रुपये है और कोई भी राज्य बार काउंसिल इससे अधिक शुल्क नहीं ले सकती है।पीठ ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम के अनुसार, निर्धारित नामांकन शुल्क 600 रुपये है और कोई भी राज्य बार काउंसिल इससे अधिक शुल्क नहीं ले सकती है।पीठ ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम के अनुसार, निर्धारित नामांकन शुल्क 600 रुपये है और कोई भी राज्य बार काउंसिल इससे अधिक शुल्क नहीं ले सकती है।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि नामांकन के लिए 600 रुपये शुल्क 1993 में तय किया गया था और तब से महंगाई कई गुना बढ़ गई है।

पीठ ने कहा कि कानून एक सेवा उन्मुख पेशा है और अधिक शुल्क नहीं लिया जा सकता क्योंकि यह गरीब पृष्ठभूमि से आने वाले लोगों के हितों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

इसने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मामले में अदालत की सहायता करने को कहा और इसे ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।