मरीजों से मॉकड्रिल करने वाला आगरा का पारस हॉस्पिटल सील, संचालक पर एफआईआर

आगरा उत्तर प्रदेश
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आगरा, 08 जून (ए)। यूपी के आगरा में मरीजों के साथ मॉकड्रिल करने वाले पारस हॉस्पिटल को सील कर दिया गया है। यहां भर्ती मरीजों को शिफ्ट किया जा रहा है।अस्पताल के संचालक पर महामारी एक्ट के तहत केस दर्ज करने के निर्देश दिए गए है। प्रमुख सचिव गृह ने पारस अस्पताल के मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है और यह कार्रवाई शुरू कर दी गई। 
पारस हॉस्पिटल के एक वायरल वीडियो में ऑक्सीजन संकट में मॉक ड्रिल से पांच मिनट में 22 मरीजों की छंटनी की बात सामने आने के बाद से हड़कंप मचा हुआ है। वीडियो को लेकर प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने भी भाजपा सरकार पर हमला बोला। कांग्रेसियों ने अस्पताल के बाहर प्रदर्शन करने के साथ ही थाने में तहरीर भी दी है। सुबह से ही पारस हॉस्पिटल के बाहर लोगों का हंगामा होता रहा। इसे देखते हुए भारी पुलिस फोर्स भी तैनात कर दी गई। सूत्रों ने बताया कि भगवान टॉकीज स्थित श्री पारस हास्पिटल पर आक्सीजन की कमी का भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए अस्पताल संचालक के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है। वहीं 26 और 27 अप्रैल को अस्पताल में हुईं मौतों का स्वस्थ्य विभाग की टीम द्वारा आडिट किया जाएगा। जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने कहा कि अस्पताल में आक्सीजन और मरीजों की मौतों का इश्यू सामने आया था। इसकी जांच किए जाने पर पाया गया कि आक्सीजन की कमी नहीं थी। उन्होंने कहा कि आक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई। अस्पताल को 25 अप्रैल को 149, 26 को 121 और 27 को 117 आक्सीजन के सिलेंडर दिए गए। अस्पतालों में सामान्यत: 20 सिलेंडर का बैकैअप रहता है। पारस हास्पिटल में 16 सिलेंडरों का उन दिनों में बैकअप मिला। इससे भी स्पष्ट हो जाता है कि मरीजों की मौत आक्सीजन की कमी से नहीं हुई। डीएम ने कहा कि 22 मौतें होने का वीडियो पूरी तरह से निराधार और असत्य है। आक्सीजन की कमी का भ्रम फैलाने के आरोप में अस्पताल संचालक केखिलाफ महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है। इस मामले की जांच पुलिस करेगी। गौरतलब है कि  पारस अस्पताल में 26 अप्रैल को सुबह सात बजे पांच मिनट के लिए ऑक्सीजन बंद कर मॉकड्रिल की गई थी। उस भयावह पल को बयान करते छह मिनट के चार वीडियो वायरल हुए हैं। इनमें पारस अस्पताल के संचालक अरिंजय जैन बता रहे हैं कि इस मॉकड्रिल से 22 मरीजों का दम घुटने लगा था और उनके हाथ-पैर नीले पड़ गए थे। इस दौरान अस्पताल में 96 मरीज भर्ती थे।

अस्पताल के संचालक के वीडियो वायरल होने के बाद जिला प्रशासन से लेकर शासन तक इस मामले में हड़कंप मचा रहा। पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच कराई गई।