एड्स से संक्रमित चाची ने नाबालिग भतीजे से बनाए संबंध, ऐसे हुआ खुलासा,फिर —

राष्ट्रीय
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रुद्रपुर,06 अप्रैल(ए)। उत्तराखंड के रुद्रपुर जिले में एचआईवी संक्रमित चाची द्वारा भतीजे के साथ यौन संबंध बनाए जाने से नाबालिग के परिजन काफी चिंतित हैं। बच्चे के भविष्य को लेकर परिजन परेशान और डरे हुए हैं। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि एंटीरेट्रोवायरल (एआरटी) थेरेपी के जरिए बच्चे के संक्रमण को कम किया जा सकता है। इससे वह अपना भविष्य संवार सकता है।
ट्रांजिट कैंप थाना क्षेत्र स्थित एचआईवी संक्रमित महिला ने 15 वर्षीय भतीजे के साथ संबंध बना लिए थे। जबकि महिला के पति की एचआईवी संक्रमण के चलते पहले ही मौत हो गई थी। लड़के के परिजनों को जब यह पता चला तो उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। बच्चे के परिजनों ने ट्रांजिट कैंप थाना में महिला के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। 
पुलिस ने महिला को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। वहीं अब परिजनों में बच्चें के भविष्य को लेकर चिंता बनी हुई है। इस पर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी हरेंद्र मलिक ने बताया कि बच्चे के संक्रमण को कम किया जा सकता है।
वायरस शरीर में काफी समय बाद अपना प्रभाव दिखाते है।
डॉक्टर का कहना है कि बच्चे की एचआईवी जांच कराई जाए। अगर बच्चा संक्रमित नहीं है तो छह महीने बाद फिर से उसकी जांच कराई जाए। क्योंकि कभी-कभी एचआईवी के वायरस शरीर में काफी समय बाद अपना प्रभाव दिखाते हैं। 
धीरे-धीरे निष्क्रिय होने लगता है शरीर
उन्होंने बताया कि भयंकर एचआईवी होने के बाद मरीज को दो से चार दिन दिन तक बुखार आता है। उसके बाद उसका शरीर धीरे-धीरे निष्क्रिय होने लगता है। डॉक्टर ने बताया कि एचआईवी संक्रमित के संक्रमण को एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी के इलाज के जरिए कम किया जा सकता है।
एआरटी में तीन से चार प्रकार की दवाईयां होती हैं। जो एक महीने के भीतर अपना असर दिखाना शुरू कर देती हैं। लेकिन यह दवाई संक्रमित को सारी उम्र तक लेनी पड़ती है। इससे संक्रमण काफी हद तक कम हो जाता है और संक्रमित अपना जीवन आसानी से गुजार सकता है।