अतीक अहमद की पत्नी ने सीएम से उमेश पाल हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग की

राष्ट्रीय
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प्रयागराज, 27 फरवरी (ए) माफिया और पूर्व सांसद अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन ने शुक्रवार को उमेश पाल की दिनदहाड़े हुई हत्या की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सोमवार को एक पत्र लिखा।.

मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र में शाइस्ता परवीन ने कहा है, “शुक्रवार की घटना अत्यंत दुखद और निदंनीय है। इस घटना को लेकर उमेश पाल की पत्नी की ओर से मेरे पति अतीक अहमद, मेरे देवर खालिद अजीम उर्फ अशरफ, मुझे और मेरे बेटों समेत नौ लोगों को नामजद करते हुए नौ अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।”.पत्र में कहा गया है, “इसमें मेरे पति, देवर और बेटों पर षड़यंत्र रचने का आरोप लगाया गया है, और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर मेरे बेटे अली को शूटर बताया गया है जबकि यह आरोप बिल्कुल निराधार है।”

शाइस्ता परवीन के मुताबिक, “सत्यता यह है कि जबसे बसपा ने मुझे प्रयागराज से महापौर का उम्मीदवार घोषित किया है, तबसे यहां के एक स्थानीय नेता और आपकी सरकार में कैबिनेट मंत्री ने महापौर का पद अपने पास बनाए रखने के लिए हमारे खिलाफ साजिश करना शुरू कर दिया और इसी साजिश के तहत एक ऐसे व्यक्ति की हत्या करवाई गई जिसका आरोप मेरे पति पर लगना स्वभाविक है।”

उन्होंने कहा, “उमेश पाल, राजू पाल हत्याकांड में गवाह नहीं थे, बल्कि वह धूमनगंज थाना में दर्ज अपहरण के मुकदमे में वादी थे जिसमें उनकी गवाही 16 और 17 अगस्त, 2016 को दर्ज हो चुकी है।”

पत्र में लिखा गया है, “चूंकि प्रयागराज पुलिस पूरी तरह से आपके मंत्री के दबाव में काम कर रही है इसलिए रिमांड के बहाने एक साजिश के तहत मेरे पति और देवर को जेल से बुलाकर रास्ते में उनकी हत्या कराई जा सकती है। ”

उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को उमेश पाल और उनके एक सुरक्षाकर्मी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हमले में एक अन्य सुरक्षाकर्मी गंभीर रूप से घायल हुआ जिसे रविवार को लखनऊ के लिए रेफर कर दिया गया।

इस हत्याकांड को लेकर उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने शनिवार को धूमनगंज थाना में एफआईआर दर्ज कराई जिसमें पूर्व सांसद अतीक अहमद, अतीक के भाई अशरफ, अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन, अतीक के दो बेटों, अतीक के साथी गुड्डू मुस्लिम और गुलाम और नौ अन्य साथियों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 506, 120-बी, 34, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 की धारा तीन और आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 1932 की धारा सात के तहत मामला दर्ज कराया था।