भारत के चीफ जस्टिस बोले- राजनीतिक दल चाहते हैं उनके हिसाब से चले काम

राष्ट्रीय
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नई दिल्ली, 02 जुलाई (ए)। भारत के चीफ जस्टिस एम वी रमना ने कहा कि सत्तारूढ़ दलों का मानना ​​​​है कि सरकारी कार्रवाई न्यायिक समर्थन की हकदार हैं और विपक्षी दल उम्मीद करते हैं कि यह उनके कारण का समर्थन करेगा। लेकिन यह समझना जरूरी है कि न्यायपालिका केवल संविधान के प्रति जवाबदेह है। उन्होंने कहा कि देश ने अभी भी संविधान द्वारा प्रत्येक संस्थान को सौंपी गई भूमिकाओं की पूरी तरह से सराहना करना नहीं सीखा है।
शनिवार को सैन फ्रांसिस्को में एसोसिएशन ऑफ इंडियन अमेरिकन्स द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में बोलते हुए सीजेआई एम वी रमना ने कहा, “जैसा कि हम इस वर्ष स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष का जश्न मना रहे हैं और जब हमारा गणतंत्र 72 वर्ष का हो गया है, तो कुछ अफसोस के साथ, मुझे यहां यह जोड़ना चाहिए कि हमने अभी भी संविधान द्वारा प्रत्येक संस्थान को सौंपी गई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों की पूरी तरह से सराहना करना नहीं सीखा है। सत्ताधारी पार्टी का मानना ​​​​है कि हर सरकारी कार्रवाई न्यायिक समर्थन की हकदार है। विपक्षी दलों को उम्मीद है कि न्यायपालिका अपने राजनीतिक पदों और कारणों को आगे बढ़ाएगी। जबकि न्यायपालिका केवल संविधान के प्रति जवाबदेह है।”
सीजेआई ने कहा, “यह आम जनता के बीच बड़ी अज्ञानता है जो ऐसी ताकतों की सहायता कर ही, जिनका एकमात्र उद्देश्य न्यायपालिका को खत्म करना है। मैं इसे स्पष्ट कर दूं, हम केवल और केवल संविधान के प्रति जवाबदेह हैं। ”
उन्होंने कहा कि “संविधान में परिकल्पित नियंत्रण और संतुलन को लागू करने के लिए हमें भारत में संवैधानिक संस्कृति को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। हमें व्यक्तियों और संस्थानों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। लोकतंत्र सभी की भागीदारी के बारे में है”।
संयुक्त राज्य अमेरिका का उदाहरण देते हुए सीजेआई ने “भारत सहित दुनिया में हर जगह” समावेशिता को सम्मानित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और आगाह किया कि “एक गैर-समावेशी दृष्टिकोण आपदा के लिए एक निमंत्रण है”।