चीन ने ताईवान पर जयशंकर की टिप्पणियों को लेकर भारत के स्पष्टीकरण पर हैरानी जताई

अंतरराष्ट्रीय
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बीजिंग: 21 अगस्त (ए)) चीन ने बृहस्पतिवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर की इस सप्ताह चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत के दौरान ‘एक-चीन’ नीति से संबंधित कथित टिप्पणियों पर भारत द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण पर ‘आश्चर्य’ व्यक्त किया।

भारत ने मंगलवार को कहा था कि ताईवान पर उसके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है और उसके साथ नयी दिल्ली के संबंध आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक पहलुओं पर केंद्रित हैं।चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘‘हम भारत के स्पष्टीकरण से हैरान हैं।’’

वह जयशंकर की टिप्पणियों पर भारत के स्पष्टीकरण की खबरों पर चीन के आधिकारिक मीडिया के एक सवाल का जवाब दे रही थीं।

यह स्पष्टीकरण तब आया जब चीनी विदेश मंत्रालय ने वांग के साथ बातचीत के दौरान जयशंकर के बयान को गलत तरीके से उद्धृत करते हुए कहा था कि ताईवान चीन का हिस्सा है।

चीनी प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि बीजिंग इस स्पष्टीकरण को ‘तथ्यों के साथ असंगत’ पाता है।

माओ ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि भारत में कुछ लोगों ने ताईवान के मुद्दे पर चीन की संप्रभुता को कमज़ोर करने और चीन-भारत संबंधों में सुधार को बाधित करने की कोशिश की है। चीन इस पर गंभीर चिंता व्यक्त करता है और इसका कड़ा विरोध करता है।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘मैं इस बात पर ज़ोर देना चाहती हूं कि दुनिया में सिर्फ़ एक ही चीन है और ताईवान चीन के भूभाग का एक अविभाज्य हिस्सा है। भारत सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इस पर व्यापक सहमति है।’’

चीनी प्रवक्ता ने कहा कि चीन को उम्मीद है कि भारत ‘एक-चीन’ के सिद्धांत का गंभीरता से पालन करेगा, संवेदनशील मुद्दों को उचित ढंग से संभालेगा और द्विपक्षीय संबंधों के निरंतर विकास को बढ़ावा देगा।

सोमवार को दो दिवसीय यात्रा पर नयी दिल्ली पहुंचे वांग ने 18 अगस्त को जयशंकर के साथ बातचीत की।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि चीनी पक्ष ने ताईवान का मुद्दा उठाया था।

उसने कहा, ‘‘भारतीय पक्ष ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस मुद्दे पर उसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। उसने इस बात पर ज़ोर दिया कि दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह, भारत का ताईवान के साथ आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक संबंधों पर केंद्रित रिश्ता है और यह आगे भी जारी रहेगा। भारतीय पक्ष ने कहा कि चीन भी इन क्षेत्रों में ताइवान के साथ सहयोग करता है।’’

अतीत में, भारत ने ‘एक-चीन’ नीति का समर्थन किया था, लेकिन 2011 के बाद से किसी भी द्विपक्षीय दस्तावेज़ में इस नीति को शामिल नहीं किया गया है।

चीन ने अक्सर भारत से ‘एक-चीन’ नीति का पालन करने का आग्रह किया है।

भारत और ताईवान के बीच औपचारिक कूटनीतिक संबंध नहीं हैं, फिर भी उनके द्विपक्षीय व्यापार संबंध लगातार बढ़ रहे हैं।

ताईवान एक स्वशासी द्वीप है जिसकी आबादी 2.3 करोड़ से अधिक है। यह दुनिया के लगभग 70 प्रतिशत सेमीकंडक्टर का उत्पादन करता है, जिसमें सबसे उन्नत चिप्स शामिल हैं जो लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे स्मार्टफोन, कार के पुर्जे, डेटा सेंटर, लड़ाकू विमान और एआई तकनीकों के लिए आवश्यक हैं।