कोरोना का कहर : चिताओं की नहीं ठंडी हो पा रही आग,श्मशान घाटों पर लंबी कतारें

राष्ट्रीय
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नई दिल्ली, 29 अप्रैल (ए)। देश में कोरोना वायरस की महामारी अब विकराल रूप धारण कर चुकी है। जिस पर अंकुश अभी तक नहीं लग पा रहा है। कोरोना से मरने वालों के लिये श्मशान घाट पर जगह मिलना भी जहाँ मुश्किल हो रहा है वहीं चिता जलाने के लिये लकड़ियों का भी संकट है। हर तरफ का मंजर भयावह है। दिल्ली,मुंबई,यूपी,महाराष्ट्र राजस्थान,एमपी,छत्तीसगढ़ हो हर जगह हाहाकार है। सैनिटाजेशन के बाद शव की पैकिंग, फिर पीपीई किट में अपने परिजन का अंतिम संस्कार के लिए पहुंचने वालों की फेहरिस्त लगातार लंबी हो रही है। कोरोना की वजह से अपनों को खोने वाले इस कदर खौफजदा हैं कि अब उफ भी नहीं निकल रही है। बहुत खराब बीमारी है, कैसे बचें….एक व्यक्ति ने अपने चाचा के अंतिम संस्कार के बाद कुछ ऐसी ही बात श्मशान पर करते नजर आए। महिलाएं, युवा सभी अपनों को अंतिम विदाई देने के लिए सभी एहतियातों का पालन करते हुए पूरे दिन पहुंचते रहे।
कोरोना संक्रमण के कारण मौत की बढ़ती संख्या से श्मशान में शवों को अंतिम संस्कार करने से पहले किसी को बात करने की भी फुर्सत नहीं। दिल्ली के द्वारका सेक्टर-24 के इस श्मशान में तयशुदा से 25 गुना अधिक शवों का रोजाना अंतिम संस्कार किया जा रहा है। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं अपने परिजनों के अंतिम संस्कार में शरीक न हो पाने वालों को इस बात की चिंता सता रही है कि अस्थियां सुरक्षित रखने के लिए अब लॉकर भी उपलब्ध नहीं है। कोरोना की चपेट में आकर जान गंवाने वाले लोगों की तादाद इतनी बढ़ गई है कि एक चिता के बुझने से पहले दूसरे शव का अंतिम संस्कार शुरू कर दिया जाता है।  द्वारका स्थित शवदाह गृह का संचालन करने वाली संस्था श्री गुरु सिंह सभा, सेक्टर-11 द्वारका के सचिव एसएस बजाज ने बताया कि शवों की संख्या कई गुना अधिक बढ़ गई है। पिछले 10 दिनों से रोजाना 50 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इसके लिए तय कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जा रहा है। सैनिटाइजेशन के बाद ही पीपीई किट में रिश्तेदार पहुंच रहे हैं। सभी के लिए मास्क लगाना, सैनिटइाजेशन और सामाजिक दूरी का पालन भी जरूरी है। 
शवों के अंतिम संस्कार के लिए एमसीडी की ओर से 2800 रुपये का रेट तय किया गया है। संस्कार के अगले दिन लोगों को फूल चुगने के लिए बुलाया जाता है ताकि देर न हो। कोविड संक्रमण के मृतकों के लिए श्मशान में लकड़ियां सहित सभी जरूरी सामान भी रखे गए हैं ताकि किसी को परेशान होना न पड़े। हालांकि धार्मिंक अनुष्ठान के लिए सभी सामग्री की जरूरत के हिसाब से अधिक खर्च भी कई लोग कर रहे थे।
शवों के अंतिम संस्कार के दौरान साथ पहुंचने वाले परिवार के दूसरे सदस्य मास्क लगाकर अकेले में अश्रुपूर्ण विदाई देते नजर आए। सभी के गले रुंधे हुए तो गम के इस माहौल में हर कोई यही प्रार्थना कर रहा था कि और किसी परिवार के साथ ऐसा न हो। इनमें से कुछ ऐसे भी लोग थे, जिनके परिजनों की सांसे ऑक्सीजन की कमी से आखिरी सांसे बन गईं। सभी के चेहरे पर दुख के साथ साथ रोष भी दिख रहा था। 
श्मशान में कुछ ऐसे भी लोग पहुंचे, जिन्हें इस बात की चिंता सता रही थी कि कोविड संक्रमितों का अंतिम संस्कार कैसे किया जाए। एक मृतक के परिजन ने कर्मी से पूछा कि शव का सैनिटाइजेशन जरूरी है क्या, कैसे ला सकते हैं। क्या उन्हें बताना जरूरी है कि मौत कोविड-19 संक्रमण की वजह से हुई। सभी जानकारियां मिलने के बाद मृतक के शव को संस्कार के लिए लेने के लिए घर लौटे।