दाव पेंच – बिना लड़ाई के हार गई रीना

उत्तर प्रदेश गाजीपुर
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गाजीपुर,18 अप्रैल एएनएस । पंचायत चुनाव में ग्राम सरकार का मुखिया बनने का सपना देखने वाले रीना अन्ततः चुनाव में लगे कर्मचारियों व अधिकारियों की उदासीनता के चलते चुनावी महासमर से ही बाहर हो गयी।
बताते चलें कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की जानकारी मिलते ही रीना ग्राम प्रधान प्रत्याशी के लिए ताल ठोंकने लगी। उसका यह उतावलापन दूसरे भावी प्रत्याशियों को रास नहीं आयी कि वह भी प्रधानी के चुनाव की प्रबल उम्मीदवार बनने वाली है। राजनीतिक हथकंडे अपनाते हुए किसी चालबाज ने ऐसी भयंकर चाल चली कि रीना चारों खाने चित हो गई।
यह कहानी है गाजीपुर जनपद के विकास खंड मनिहारी के छपरी ग्राम पंचायत की। वहां की निवासी रीना बड़े अरमान से प्रधानी के चुनाव में ग्राम प्रधान बनने का हौसला लिए हुए साल के शुरू से ही ताल ठोक रही थी। उसकी दावेदारी कुछ लोगों को नागवार लगी और उन्होंने अपनी दावेदारी को पक्का मान,रीना का नाम ही मतदाता सूची से कटवा दिया।
अपनी उम्मीदवारी को लेकर शुरू से तैयारी में जुटी रीना को जोरदार झटका तब लगा जब चुनाव आयोग ने चुनाव की घोषणा कर दी। चुनाव की घोषणा होते ही,किसी विशेष व्यक्ति से उसे पता चला कि उसका तो नाम ही मतदाता सूची से गायब है। तिलमिलायी रीना ने आननफानन में मतदाता सूची मंगवाई। मतदाता सूची देखकर वह भौचक्की रह गयी क्योंकि उसका नाम मतदाता सूची से गायब था जबकि पूर्व के मतदाता सूची में उसका नाम सदैव मौजूद रहा था।
इतना ही नहीं बल्कि उसकी दस वर्षों पूर्व मृत सास को मतदाता बना दिया गया है। इसके साथ ही गांव के कई मृतकों को मतदान का अधिकार देते हुए उन्हें मतदाता सूची में स्थान दिया गया है।
ऐसा आभास होता है कि यह कार्य बीएलओ की मर्जी से हुआ है। इस हेराफेरी से तिलमिला कर रीना सीधे उपजिलाधिकारी जखनियां के दरबार जा पहुंची और आवेदन देकर वास्तविक स्थिति से अवगत कराते हुए मतदाता सूची में नाम जोड़ने की अपील की। उसके बाद वह आवेदन क्षेत्रीय लेखपाल के यहां पहुंचा जिसने अपनी टिप्पणी के साथ उसे वापस किया। इसके बाद वह आवेदन विभागीय कार्यवाही के लिए खंड विकास अधिकारी कार्यालय मनिहारी पहुंचा वहां से वह एडीओ पंचायत के द्वारा बीएलओ को सौंपा गया। बीएलओ का कहना था कि उसने नाम जोड़ने के लिए संस्तुति करते हुए वह आवेदन पत्र खंड विकास कार्यालय पर एडीओ पंचायत को सौंप दिया और वहां से वह उप जिलाधिकारी जखनिया के कार्यालय चला गया, जहां से वह निर्वाचन कार्यालय जाएगा और नाम मतदाता सूची में जोड़ दिया जायेगा।
इतनी कवायद के बाद रीना आश्वसत हो गई थी उसका नाम मतदाता सूची में जुड़ जायेगा और वह गांव की बागडोर संभालने के लिए तत्पर होगी।
उसकी इस आशा पर उस दिन तुसारापात हो गया जब नयी मतदाता सूची में उसका नाम जोड़ा ही नहीं गया। मायूस होकर चुपचाप बैठने से पूर्व उसने जिला प्रशासन की कार्यवाही पर ही सवालिया निशान लगा दिया। उसने कहा कि बीएलओ से लेकर के विकास खंड कार्यालय, तहसील और निर्वाचन कार्यालय की गड़बड़ी की वजह से आखिरकार उसका नाम जोड़ा नहीं ग ou और वह उम्मीदवार बनने के साथ ही साथ मतदान करने से भी वंचित रह गई।
क्या चुनाव आयोग इस पर कारर्वाई करते हुए रीना को न्याय तथा दोषियों को दण्ड दिला पायेगा?