तीनों कृषि कानून किसानों के लिए ‘डेथ वारंट’ : अखिलेश

उत्तर प्रदेश मथुरा
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मथुरा, 19 मार्च (ए) समाजवादी पार्टी के मुखिया एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि केंद्र सरकार के तीनों नए कृषि कानून किसानों के लिए ‘डेथ वारंट’ साबित हो रहे हैं लेकिन उन्हें वापस नहीं लिया जा रहा है।

अखिलेश ने किसानों के समर्थन में नए कृषि कानूनों का विरोध करते रहने की प्रतिबद्धता जताते हुए बृहस्पतिवार की शाम को वृंदावन में संवाददाताओं से कहा ‘‘वर्तमान में खेती घाटे का सौदा बन गई है। उस पर तीनों कृषि कानून किसानों के लिए डेथ वारंट साबित हो रहे हैं।’’

उन्होंने कहा ‘‘केंद्र सरकार नए कानूनों के जरिये खेती को पैसे वालों के हाथों में सौंप देना चाहती है। उस स्थिति में किसान या तो मजदूर बन कर रह जाएगा, या फिर आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएगा।’’

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा ‘‘केंद्र की भाजपा नीत सरकार अन्नदाताओं को आतंकवादी करार देती है। उनको विरोध करने से रोकने के लिए ऐसे हथकण्डे अपनाती है जैसे कि वे कोई दूसरे देश से आए हुए घुसपैठिए हों और देश को तबाह कर देना चाहते हों।’’

उन्होंने कहा ‘‘देश पर अचानक थोपी गयी नोटबंदी और गलत समय पर किए गए लॉकडाउन ने बड़ी संख्या में युवाओं को बेरोजगार बना दिया। महंगाई बेहताशा व बेलगाम बढ़ रही है जिसको कम करने का कोई भी रास्ता केंद्र सरकार के पास नहीं है।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कुछ उद्योगपतियों को ही बढ़ावा दे रही है जिससे देश में कॉर्पोरेट संस्कृति को बढ़ावा मिल रहा है जबकि जीएसटी की जटिलताओं ने छोटे व्यापारियों को मानसिक तनाव दे दिया है।

उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा ‘‘ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं लैपटॉप चलाना नहीं जानते। इसलिए वे विद्यार्थियों को लैपटॉप नहीं बांट रहे हैं। वर्तमान सरकार केवल नाम बदलने और पूर्व की योजनाओं का उद्घाटन करने में ही लगी है जबकि विकास कार्यों के नाम पर उसका योगदान शून्य है।’’

इससे पूर्व उन्होंने मथुरा में आयोजित दो दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन किया और प्रथम सत्र में कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने का प्रयास किया।

अखिलेश ने कहा ‘‘उत्तर प्रदेश की जनता महंगाई, डीजल-पेट्रोल व रसोई गैस के मूल्यों में बेतहाशा वृद्धि से परेशान हो गई है।’’

इससे पूर्व उन्होंने वृन्दावन के ठाकुर बांकेबिहारी के मंदिर में पहुंच कर पूजा अर्चना की ।