यहाँ हुई बादलों की बारिश:जब आसमान से गिरे बादलों के छोटे-छोटे टुकड़े,लोग हुए हैरान फिर—

राष्ट्रीय
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मुंबई,22 सितम्बर (ए)।महाराष्ट्र के चंद्रपुर में ‘बादलों की बारिश’ हुई है। जिसे देख स्थानीय लोग डरे हुए और हैरान हैं। ऐसा लग रहा था कि जैसे आसमान से बादलों को छोटे-छोटे टुकड़े गिर रहे हों। पेड़ों पर, सड़कों पर और घरों पर ये ‘बादल’ के टुकड़े गिरे पड़े थे। असल में ये प्रदूषण की वजह से उड़ रहे झाग थे, जो बारिश के साथ नीचे जमीन पर गिर रहे थे। वायुमंडल को समझने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि बारिश और वातावरण के प्रदूषण के बीच रसायनिक प्रक्रिया होने की वजह से ये झाग के गोले बनकर जमीन पर गिर रहे थे। असल में ये घटना देखने को मिली है चंद्रपुर शहर के पास दुर्गापुर इलाके में। पेड़ों पर, घास पर, सड़कों पर, घरों पर समेत कई अन्य जगहों पर ये झाग गुच्छों के रूप में दिखाई दे रहा थे बादलों जैसे दिखने वाला ये झाग करीब दो किलोमीटर के इलाके में फैले हुए थे। आसमान से गिरते हुए ये झाग साफ दिखाई दे रहे थे लोग भी हैरान रह गए। लोगों को समझ नहीं आ रहा था की आखिर ये क्या हो रहा है। कोरोना महामारी के बाद अब ये क्या नई मुसीबत आसमान से बरस रही है। शुरुआत में लोगों को यही लगा कि ये बादलों के टुकड़े हैं जो गिर रहे हैं। लोगों ने इसका वीडियो बनाना शुरू कर दिया। बाद में लोगों ने बताया की इसमें से अजीब बदबू भी आ रही थी। जिस इलाके में झाग के गोले गिरे, वहां पर चंद्रपुर थर्मल पावर स्टेशन समेत कई कोयला खदानें भी हैं, जिसके कारण इस इलाके में बड़े पैमाने पर वायु प्रदूषण होता है। चंद्रपुर में पिछले दो दिनों से लगातार बारिश हो रही है। पर्यावरण के जानकार सुरेश चोपने के मुताबिक थर्मल पावर प्लांट और कोयला खदानों से वर्षा जल और वायु प्रदूषण के संयोजन के परिणामस्वरूप फोम का निर्माण हो सकता है। यह पहली बार है जब बारिश के साथ ऐसा झाग गिरा हो। चंद्रपुर के इस इलाके में जैसे ही झाग गिरने की खबर आई तुरंत लोगों ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसकी जानकारी दी। तुरंत बोर्ड के कर्मचारियों ने दुर्गापुर इलाके में पहुंचकर झाग का सैंपल जमा किया। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस झाग से अलग तरह की बद्बू आ रही थी। इसका स्वाद नमकीन था. साथ ही यह झाग तैलीय (Oily) था. दुर्गापुर इलाके से सिर्फ 2 किलोमीटर दूर ही चंद्रपुर थर्मल पावर स्टेशन है। चंद्रपुर में दो दिनों से बारिश हो रही है। ऐसा माना जा रहा है कि कोयला खदानों और थर्मल पावर स्टेशन से निकलने वाले प्रदूषण में शामिल रसायनिक तत्वों का बारिश के साथ केमिकल रिएक्शन हुआ है, जिसकी वजह से ये झाग के गोले हवा में बनकर तैरते हुए दिखाई दिए हैं। बारिश के समय झाग बनने की इस प्रक्रिया को सर्फेकटेंट इफेक्ट या मिसेल फॉर्मेशन कहते हैं। इस प्रक्रिया के होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। ज्यादातर मामलों में इस तरह के झाग बनने की वजह इंडस्ट्रियल कचरा या प्रदूषण ही होता है। जब ये हवा में उड़कर बादलों के साथ मिल जाता है। बारिश होने पर ये रसायनों से मिले ये बादल टूटककर झाग के रूप में नीचे गिरते रहते हैं। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा है कि वो इस मामले की जांच कर रहे हैं। उनके पास झाग का सैंपल मौजूद है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आखिरकार ऐसा क्यों हुआ। क्या भविष्य में भी ऐसा हो सकता है। ऐसा कई देशों में देखा गया है जहां पर बारिश के समय सड़कों पर झाग बहते हुए दिखे हैं। ऐसा कई बार पाइन ट्री के साथ भी देखने को मिलता है। जब बारिश होती है तब इन पेड़ों पर झाग बनने लगता है। ऐसा पानी और तेल के मिलने से होता।