पटना: 16 अक्टूबर (ए) बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला ने बुधवार को यहां एक स्थानीय अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
पटना दीवानी अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले शुक्ला को उच्च सुरक्षा वाली बेउर केंद्रीय जेल में रखा जा सकता है। शुक्ला एक बार निर्दलीय और एक बार लोक जनशक्ति पार्टी से विधायक रहे हैं।अदालत परिसर में प्रवेश करने से पहले शुक्ला ने संवाददाताओं से कहा, ‘न्यायपालिका के प्रति मेरा सर्वोच्च सम्मान और पूर्ण विश्वास है…व्यवस्था में मेरे पास कई विकल्प उपलब्ध हैं…उन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। मुझे पता है कि मेरे समर्थक मेरे जेल जाने से खुश नहीं हैं।’
शीर्ष अदालत ने बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की 1998 में हुई हत्या के मामले में 13 अक्टूबर को शुक्ला सहित दो लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने सभी आरोपियों को बरी करने के पटना उच्च न्यायालय के फैसले को आंशिक रूप से खारिज कर दिया था और दोषियों मंटू तिवारी और शुक्ला को 15 दिनों में आत्मसमर्पण करने को कहा था।
हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह समेत छह अन्य आरोपियों को बरी किये जाने के उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा।
पीठ ने कहा था कि तिवारी और शुक्ला के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या का प्रयास) के तहत आरोप साबित हुए हैं।
आत्मसमर्पण से एक दिन पहले शुक्ला ने मंगलवार को मुजफ्फरपुर में अपने पैतृक गांव नया टोला में एक बड़ी बैठक की।
बैठक का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें शुक्ला ने अपने समर्थकों से कहा कि मुन्ना शुक्ला भले ही जेल में रहे लेकिन राज्य में सरकार भी बदलेगी और वह जेल में रहते हुए भी अपने घर पर बैठकें करेंगे।
बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी एवं पूर्व भाजपा सांसद रमा देवी और सीबीआई ने सबूतों के अभाव में आरोपियों को बरी करने के उच्च न्यायालय के 2014 के आदेश को चुनौती दी थी।
प्रभावशाली ओबीसी नेता बृज बिहारी प्रसाद की 13 जून 1998 को पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में हत्या कर दी गई थी, जहां वह भर्ती थे।