नयी दिल्ली: 21 अगस्त (ए)) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत न तो रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है और न ही 2022 के बाद मॉस्को के साथ उसके व्यापार में सबसे बड़ा उछाल आया है।
यह रूसी तेल की खरीद को लेकर अमेरिका की ओर से भारतीय वस्तुओं पर 25 फीसदी का अतिरिक्त शुल्क (टैरिफ) लगाए जाने के बाद किसी शीर्ष सरकारी अधिकारी की संभवत: पहली स्पष्ट प्रतिक्रिया है।मॉस्को की तीन दिवसीय यात्रा कर रहे जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में यह टिप्पणी की।
उन्होंने कहा, “हम रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं। वह चीन है। हम रूसी एलएनजी के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं। मैं दावे के साथ नहीं कह सकता, लेकिन मुझे लगता है कि वह यूरोपीय संघ है।”
जयशंकर ने कहा, “हम वह देश नहीं हैं, जिसके साथ रूस के व्यापार में 2022 के बाद सबसे बड़ा उछाल आया है। मुझे लगता है कि ऐसे कुछ देश दक्षिण में हैं।”
उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत के रूस से कच्चा तेल खरीदने का समर्थक था, क्योंकि इससे ऊर्जा बाजार में स्थिरता आई।
विदेश मंत्री ने कहा, “हम वह देश हैं, जहां वास्तव में अमेरिकियों ने पिछले कुछ वर्षों में कहा है कि हमें वैश्विक ऊर्जा बाजारों को स्थिर करने के लिए सब कुछ करना चाहिए, जिसमें रूस से तेल खरीद भी शामिल है।”
उन्होंने कहा, “संयोग से, हम अमेरिका से भी तेल खरीदते हैं और यह मात्रा बढ़ती जा रही है। इसलिए, ईमानदारी से कहें तो, हम आपकी ओर से दिए गए तर्क से बहुत हैरान हैं।”
जयशंकर से व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो की उस टिप्पणी के बारे में पूछा गया, जिसमें उन्होंने रूस से कच्चे तेल की खरीदारी को लेकर भारत की आलोचना की।
जवाब में उन्होंने कहा कि वह अधिकारी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया नहीं देंगे, लेकिन इस मुद्दे पर टिप्पणी करेंगे।