ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं मामले को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर

बिहार मुजफ्फरपुर
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मुजफ्फरपुर, 22 जुलाई (ए)। कोरोना महामारी के दौरान देश में ऑक्सीजन से कोई मौत नहीं होने के बयान मामले को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया और राज्य स्वास्थ्य मंत्री भारती प्रवीण के खिलाफ मुजफ्फपुर की सीजेएम की कोर्ट में गुरुवार को परिवाद दाखिल किया गया। अदालत ने सुनवाई के लिए 28 जुलाई की तारीख तय की है।
अहियापुर के भिखनपुरा निवासी तमन्ना हाशमी ने अपने अधिवक्ता सुरज कुमार के माध्यम से परिवाद दर्ज कराया है। इसमें राज्यमंत्री भारती प्रवीण के बयान पर आपत्ति जताई गई है। साथ ही कहा है कि उनके गांव में ही कई लोगों की जान वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की कमी के कारण चली गई। शिकायतकर्ता ने राज्यमंत्री के बयान को गैर-जिम्मेदाराना बताया है। कोर्ट ने परिवाद को स्वीकार कर लिया है। इस मामले की सुनवाई 28 जुलाई को होगी। 
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने मंगलवार को संसद में बताया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से ऐसी कोई सूचना नहीं मिली कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत हुई है। स्वास्थ्य मंत्री से सवाल पूछा गया था कि क्या ऑक्सीजन की कमी से कोविड-19 के मरीज़ों की बड़ी संख्या में सड़क पर और अस्पतालों में मौत हुई थी। राज्यसभा में सरकार ने बताया कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश कोरोना से होने वाली मौतों की जानकारी नियमित आधार पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को देते हैं। लेकिन किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौत को लेकर जानकारी नहीं दी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये भी बताया कि पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग काफ़ी बढ़ गई थी। पहली लहर में जहां 3,095 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग थी, तो दूसरी लहर में यही मांग 9,000 मीट्रिक टन तक पहुंच गई थी। बयान पर विरोध तेज हुआ तो मनसुख मांडविया ने ट्वीट किया कि ये आंकड़ा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट के आधार पर दिया गया है।