राजस्थान के नागौर में पिछले चार साल में पोर्नोग्राफी के सबसे ज्यादा मामले दर्ज

राष्ट्रीय
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जयपुर, 23 जुलाई (ए) राजस्थान में पिछले चार वर्षों में अश्लील सामग्री (पोर्नोग्राफी) तैयार करने, उसके प्रसारण और भंडारण के 400 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और 257 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।.

राज्य के गृह विभाग के अनुसार, 2019 से 2022 तक राजस्थान में दर्ज किए गए कुल मामलों में से सबसे ज्यादा 73 नागौर में, उसके बाद शिक्षा नगरी (एजुकेशन हब) के नाम से मशहूर कोटा में 46 और हनुमानगढ़ जिले में 42 मामले थे।.

भरतपुर, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर और बूंदी जिलों में पिछले चार वर्षों में पोर्नोग्राफी का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया।

नागौर में पोर्नोग्राफी से संबंधित मामलों में 55 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद कोटा में 41 और हनुमानगढ़ में 30, बाड़मेर में 17 और बीकानेर जिले में 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया। कई मामलों की जांच लंबित है।

राजस्थान के पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा ने कहा, ‘‘जहां तक बाल पोर्नोग्राफी से संबंधित मामलों का सवाल है तो इंटरनेट सेवा प्रदाताओं पर कार्रवाई की गई है और कई वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया गया है।’’

उन्होंने बताया कि विभाग बाल पोर्नोग्राफी और साइबर अपराधों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकारी और निजी कॉलेजों में विभिन्न अभियान भी चला रहा है।

राजस्थान के गृह विभाग द्वारा राज्य विधानसभा में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्य पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) द्वारा सर्च इंजन पर अपलोड की गई चाइल्ड पोर्न वेबसाइट की खोज कर सभी इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को भारतीय प्रौद्योगिकह अधिनियम की धाराओं के तहत नोटिस भेजकर 107 वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया गया।

जुलाई में राजस्थान के डूंगरपुर जिले में एक सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य को पोर्नोग्राफी के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। आरोपी प्रधानाचार्य रमेश चंद्र कटारा ने कहा था कि वह अश्लील फिल्में देखने का आदी था और इन्हें देखने के बाद लड़कियों का यौन शोषण करता था। उसने कथित तौर पर छह नाबालिग स्कूली छात्राओं से दुष्कर्म किया था।

जयपुर में बाल पोर्नोग्राफी देखने और उसे साझा करने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। आईटी कानू और पॉक्सो (बाल यौन अपराध संरक्षण) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत सिराजुद्दीन, मोहम्मद रफी और अखलाक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

प्रारंभिक जांच में पता चला कि तीनों आरोपी न सिर्फ बाल पोर्नोग्राफी देखते थे बल्कि उसे सोशल मीडिया मंचों पर साझा भी करते थे।