कहीं मस्जिद कहीं शिवाला है ,फिर भी होता नहीं उजाला है

उत्तर प्रदेश गाजीपुर
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लोकार्पण समारोह में रही साहित्य सृजकों की धुम

गाज़ीपुर ‌,22 जनवरी (ए)। शहर के अष्टभुजी कॉलोनी स्थित द प्रेसीडियम इंटरनेशनल स्कूल में, प्रो. शिखा तिवारी की चार पुस्तकों का लोकार्पण और राष्ट्रीय संगोष्ठी ससमारोह सम्पन्न हुई। कार्यक्रम का आरम्भ माता सरस्वती और हिन्दी नवगीतकार डॉ उमाशंकर तिवारी के चित्र पर पुष्पार्चन और माल्यार्पण से हुआl
    संगोष्ठी के प्रथम सत्र में प्रोफेसर शिखा तिवारी द्वारा लिखी चार पुस्तकों “एक अदद शब्द के लिए”, “निबंध मंजूषा”, “लम्बी कविता की जमीन” और “नवगीत धारा”का लोकार्पण हुआ। 
       उल्लेखनीय है कि इनमें से ‘नवगीत धारा’ सुहेलदेव विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में स्वीकृत हो चुकी हैl कार्यक्रम में विक्रमशिला विद्यापीठ ने प्रयोगधर्मा वैचारिकी और साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ठ कार्य करने के लिए माधव कृष्ण को मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी प्रदान कीl
       दूसरे सत्र “काव्य सत्र” का संचालन इन्द्रजीत तिवारी निर्भीक ने किया। उन्होंने काव्य पाठ “महंगाई है तेज न करिए दिल को खोटाl” सुनाया तो काव्य सत्र के विशिष्ट अतिथि इतिहासकार विश्वविमोहन शर्मा ने शायराना अंदाज में अपनी शायरी पेश की।
     अध्यक्ष अनंत देव पाण्डेय ने ‘जिन्दगी क्या से क्या हो गयी है’ के माध्यम से जीवन की विसंगतियों का रूप खड़ा कियाl मुख्य अतिथि और राष्ट्रीय स्तर के शायर मधुर नजमी ने अपनी गजलों से खूब प्रशंसा बटोरी , “जिन्दगी से चली गयी खुशियाँ/ द्वार पर स्वागतम रह गयाl” डॉ संतोष तिवारी ने नवगीतकार उमाशंकर तिवारी द्वारा लिखित प्रसिद्ध नवगीत ‘एक अदद शब्द के लिए’ का सस्वर पाठ कियाl डॉ प्रमोद श्रीवास्तव अनंग ने “बेटा जीते तो पापा खुश होते हैं” सुनाकर श्रोताओं को भावुक कर दियाl
डॉ माधव कृष्ण ने ऐतिहासिक रूप से संकुचित होती जा रही राष्ट्रीय भूमि के राष्ट्रीय चेतना को झकझोरते हुए कहा, “तेज तुझमे राम का, यदि आज थोड़ा शेष होगा/ शत्रुओं का नाम कल इतिहास में अवशेष होगा/ जिन्हें प्रिय जीवन, उन्हें जीवन बचाना ही पड़ेगा/ काल के इस यज्ञ में, जीवन लगाना ही पड़ेगा/ सिमटती संख्या व धरती, अब न धरती हार साथी/ एक पत्थर मार साथी।”l अध्यापक कवि दिलीप कुमार चौहान ‘बागी’ ने कविता पढ़ी, “न खुद के लिए, न जमाने के लिए ज़िंदा हूँ/कर्ज दूध का मैं चुकाने के लिए ज़िंदा हूँl” भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व प्रबंधक महेश चन्द्र लाल ने कहा, “विष हर दौर में पीया गया/आदमी का वजूद बचाता आदमी/ मौत-जरा-रोग के संघर्ष में/ सिंहासन को धता बता रहा आदमीl”l नव कवि अध्यापक आशुतोष श्रीवास्तव ने व्यग्य परक कविता पढ़ते हुए कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि बनने के लिए धन खर्च कर रहे लोगों पर व्यंग्य कसा, “मैं भी मुख्य अतिथि बना…l” 
कवि डॉ बालेश्वर विक्रम ने आध्यात्मिक कविता पढ़कर लोगों को सोचने के लिए विवश किया तो एम ए एच इंटर कॉलेज के प्राचार्य खालिद अमीर ‘गाजी’ ने एक शेर पढ़ते हुए सबको खूब चौंकाया, “रखते हैं सबकी ऐबों को अपनी नजर में हम/ उंगली उठे तो कह सके तुम भी नहीं हो कमl” साहित्य चेतना समाज के संस्थापक कवि अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ जी ने व्यंग्य पढ़ा, “जाऊं विदेश तो किस देश? बहुत सोचा, दिमाग दौड़ाया/अंत में अपना देश ही भायाl” युवा कवि शिवशंकर शिवा ने पिता पर भावपूर्ण कविता सुनायी, “बाधाएं आती हैं तो आयें मेरे पापा हैं न/ उस मंजर को उखाड़ फेंकेंगे मेरे पापा हैं नl” गीतकार गोपाल गौरव पाण्डेय ने शेर पढ़कर साम्प्रदायिक एकता और सौहार्द्र पर बल दिया, “कहीं मस्जिद कहीं शिवाला है/फिर भी होता नहीं उजाला हैl” प्रेम कुमार जी ‘दर्द सहते हुए दर्द हो गया हूँ’ का पाठ कियाl
विचार सत्र में प्रोफेसर शिखा तिवारी ने विषय प्रवर्तन करते हुए समकालीन काव्य चेतना में नवगीत का महत्व समझाते हुए इसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक चेतना का संवाहक बतायाl उन्होंने कहा कि, “मेरा आलोचना कर्म इसलिए डॉ उमाशंकर तिवारी और नवगीतों पर केन्द्रित है क्योंकि साहित्य और विचारों का सौन्दर्य आम जन से दूर नहीं होना चाहिएl” विचार सत्र की विशिष्ट वक्ता असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संगीता मौर्य ने कहा कि, “डॉ उमाशंकर तिवारी के गीतों के क्रांति की गंध है, किसानों का दुःख है और कविता की कोमलता हैl” डॉ संतोष तिवारी ने कहा कि, “डॉ उमाशंकर तिवारी ने नवगीत के निकष बनाये और इन निकषों के आधार पर समकालीन काव्य चेतना की सभी प्रमुख प्रवृत्तियों को रेखांकित किया जा सकता हैl” 
डॉ रामबदन सिंह ने कहा कि, “डॉ उमाशंकर तिवारी राष्ट्रीय स्तर के नवगीतकार थे और यह संगोष्ठी महत्वपूर्ण हैl” डॉ माधव कृष्ण ने विचार सत्र का संचालन करते हुए कहा कि, “नामवर सिंह आलोचकों के सहृदय होने की बात करते थेl लेखक और कवि की भाव-भूमि पर जाकर ही आलोचना कर्म किया जा सकता है और प्रोफेसर शिखा तिवारी इस दिशा में एक अग्रणी आलोचक हैl” सिटी इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य चंद्रमा सिंह यादव ने अतिथियों और आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए उपनिषद मिशन ट्रस्ट और द पीआईएस विद्यालय के लोगों को महत्वपूर्ण आयोजन करने के लिए बधाई दीl
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का आरम्भ राष्ट्रगान और समापन राष्ट्रगीत से हुआl इस में भारत विकास  परिषद के संयोजक संजय कुमार, अध्यक्ष अनिल उपाध्याय, शिक्षक गोपाल सिंह, रमेश यादव, दूधनाथ राय, शैलेश राय, ए के राय, आशुतोष गुप्ता, सहेंद्र यादव, ब्रिजेन्द्र यादव, गोबिंद कन्नौजिया इत्यादि उपस्थित रहेl