अजीबोगरीब : 6 साल से अपने घर में कैद इस महिला ने बाहर नहीँ रखा कदम, आखिर क्यों? जानिये पूरा मामला

राष्ट्रीय
Spread the love


नई दिल्ली, 04 मई (ए)। दुनिया में फैैली कोरोना महामारी के चलते लोग अपने घरों में कैद होने को मजबूर हो गए हैं। केवल जरूरी कामों से ही बाहर निकलते हैं। पिछले एक-डेढ़ साल में घरों में ही रहने से लोग काफी ज्यादा ऊब चुके हैं, लेकिन अगर हम आपको बताएं कि इसी दुनिया में हमारे बीच एक ऐसी महिला भी है जिसने पिछले 6 सालों से अपने घर से एक कदम भी बाहर नहीं रखा तो शायद आप चौंक जाएं।
दरअसल, 35 साल की एम्मा डेविस एमेटोफोबिया से ग्रसित हैं। एमेटोफोबिया एक प्रकार का डर है, जिसमें मरीज को हमेशा उल्टी होने, उल्टी देखने या अन्य लोगों को उल्टी करते हुए देखने के बाद उल्टी आने का डर बना रहता है। ये फोबिया कुछ लोगों के लिए इतना तीव्र हो सकता है, यह किसी शख्स की जीवन शैली को पूरी तरह से बदल सकता है। इसी डर के कारण एम्मा पिछले 6 सालों से घर से बाहर नहीं निकलीं। उन्हें हमेशा यह डर सताता रहता है कि अगर वे बाहर गईं तो उन्हें उल्टी आ सकती है।
बीमारी की वजह से होता है अवसाद
बता दें, एम्मा का यह फोबिया 12 साल पहले ही अपने चरम पर पहुंच गया था। हालांकि, उन्हें बचपन से ही उल्टी आना शुरू हो गए थे, लेकिन तब उनके लिए यह बीमारी इतनी जटिल नहीं बनी थी। उन्होंने बताया कि कभी-कभी तो घर में ही होते हुए उन्हें एमेटोफोबिया का अटैक आ जाता है।
उनके मुताबिक ज्यादातर लोग उनकी बीमारी को देखकर भयभीत होते हैं, लिहाजा उन्होंने खुद घर से बाहर नहीं निकलने का फैसला किया। एम्मा कहती हैं कि इतना अधिक अवसाद होता है कि वो शायद ही अपने कमरे से निकलती हैं। उनके लिए अब बाहर जाने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि बाहर जाकर घूमने से अधिक खुशी घर में कैद होकर मिलेगी। बीमारी की वजह से वे हर एक मिनट दिक्कतों का सामना करती हैं।
एम्मा बताती हैं कि जब वे 23 साल की थीं तब उन्हें पता चला कि वे इस तरह की बीमारी का सामना कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे काम पर घबराहट के दौरे पड़ने लगे, जिससे मैं थोड़ा डर गई। काम पर जाते समय बस में भी यही दिक्कत होती थी क्योंकि मैं बीमार महसूस करती थी। इस वजह से मुझे काम छोड़ना पड़ा, जो कठिन था क्योंकि मैंने स्कूल छोड़ने के बाद से ही काम करना शुरू कर दिया था।’
एम्मा ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में उनके हालात और बदतर होते गए और फिर एक समय ऐसा भी आया जब एक ही दिन में उन्हें छह पैनिक अटैक आने लगे। उन्होंने बताया कि उन्हें ये पैनिक अटैक रोजमर्रा के मामूली कामों से भी आने लगे, जो ज्यादातर लोग आराम से कर लेते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अपनी स्थिति से उबरने के लिए उन्होंने कई तरह के इलाज करवाए व मनोचिकित्सा के विभिन्न रूपों को अपनाया, लेकिन इन सब के बावजूद ये बीमारी ठीक नहीं हुई। ऐसे में वे घर में ही रहने को मजबूर हैं।