जज बोले- माइक mute करो, ऑनलाइन सुनवाई के दौरान जूही चावला को देखकर शख्स ने गाया – घूंघट की आड़ से…फिर—

राष्ट्रीय
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नई दिल्ली,02 जून (ए)। दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को 5जी वायरलेस नेटवर्क पर ऑनलाइन सुनवाई तीन बार बाधित हुई, क्योंकि फिल्म अभिनेत्री और पर्यावरण के प्रति चिंतित जूही चावला ने देश में 5जी नेटवर्क की स्थापना के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के बाद ऑर्डर सुरक्षित रख लिया है। जूही चावला जैसे ही वीडियो के माध्यम से जुड़ीं, तो सुनवाई के दौरान जुड़े अन्य लोगों में से किसी ने उनकी 1993 की फिल्म ‘हम हैं राही प्यार के’ के लोकप्रिय गीत ‘घूंघट की आड़ से दिलबर का’ गुनगुनाना शुरू कर दिया। इस पर न्यायमूर्ति जेआर मिधा ने पहले तो उनका माइक mute करने के लिए कहा, उसके बाद फिर किसी ने दुबारा गाना शुरू कर दिया, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कोर्ट मार्शल को इन व्यक्तियों की पहचान करते हुए, उनके खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी करने को कहा व्यक्ति की पहचान अभी सामने नहीं पाई है। सुनवाई फिर से शुरू हुई तो फिर से किसी ने गाना शुरू कर दिया- लाल लाल होतों पे गोरी किसका नाम है। इसके बाद सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट के जज नाराज हो गए, “कृपया व्यक्ति की पहचान करें और अवमानना ​​​​नोटिस जारी करें।” दिल्ली उच्च न्यायालय के आईटी विभाग को उस व्यक्ति की पहचान करने और आवश्यक कार्रवाई के लिए दिल्ली पुलिस को इसकी जानकारी देने को भी कहा। बॉलीवुड की अभिनेत्री जूही चावला 5जी तकनीक के ख़िलाफ़ दिल्ली हाई कोर्ट पहुंची हैं। जूही चावला के साथ दो अन्य याचिकाकर्ता वीरेश मलिक और टीना वाच्छानी ने एक याचिका में अदालत से कहा है कि वो सरकारी एजेंसियों को आदेश दें कि वो जांच कर पता लगाएं कि 5जी स्वास्थ्य के लिए कितना सुरक्षित है। याचिकाकर्ताओं की मांग है कि इस जांच पर किसी भी निजी कंपनी, व्यक्ति का प्रभाव ना हो.क़रीब 5,000 पन्नों वाली इस याचिका में कई सरकारी एजेंसियां जैसे डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिकेशंस, साइंस एंड एंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, सेंट्रेल पोल्युशन कंट्रोल बोर्ड, कुछ विश्वविद्यालयों और विश्व स्वास्थ्य संगठन को पार्टी बनाया गया है। जूही चावला, वीरेश मलिक और टीना वाच्छानी के वकील दीपक खोसला ने कहा, “ऐसी तकनीक से गंभीर खतरे हैं। हमारी गुजारिश है कि 5जी को उस वक्त तक रोक दिया जाए, जब तक सरकार पुष्टि ना करे कि इस तकनीक से कोई खतरा नहीं है।