बेहद खतरनाक है कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस वैरिएंट,खत्म कर देता है शरीर में बनी एंटीबॉडी!

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नई दिल्ली, 24 जून (ए)। देश में पांव पसार रहा कोरोना का नया वायरस डेल्टा प्लस बेहद खतरनाक है। यह न सिर्फ शरीर में बनी हुई एंटीबॉडी को खत्म करता है बल्कि फेफड़ों की कोशिकाओं को भी बहुत जल्दी संक्रमित करके मार देता है। ऐसे में चिंता इस बात की होने लगी है कि अगर लोगों को दी गई वैक्सीन के बाद यह वायरस शरीर में प्रवेश करेगा तो क्या वैक्सीन से बनी हुई एंटीबॉडी भी खत्म कर देगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर आईसीएमआर और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने दिशा में अब शोध शुरू कर दिया है।
देश में डेल्टा प्लस की दस्तक के बाद इस पर शोध करने वाले चिकित्सकों ने पाया है कि यह स्वरूप बेहद घातक है। संक्रमित मरीजों पर हुए शोध के बाद पाया गया कि यह वायरस शरीर में बीमारी के खिलाफ बने एंटीबॉडी को बहुत तेजी से खत्म करने लगता है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह प्रक्रिया बेहद खतरनाक है। डेल्टा प्लस वैरिएंट के अब तक अपने देश में 40 से ज्यादा नए मामले आ चुके हैं जबकि एक मरीज की मौत भी हो चुकी है। यही वजह है कि आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वॉयरोलॉजी ने मिलकर डेल्टा प्लस पर शोध करना शुरू कर दिया है।
डेल्टा प्लस पर शोध करने वाली टीम के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि उनका मकसद इस शोध में यह जानना है कि यह वैरिएंट दुनियाभर में मिले अब तक अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा के मूल स्वरूप से कितना अलग है। जिनोम सीक्वेंसिंग से इसकी पहचान तो हो गई है लेकिन इसके खतरनाक स्तर का अब तक पूरा अंदाजा नहीं लगा है। शोध करने वाली टीम ने बताया कि फिलहाल शुरुआती दौर में इस बात का जरूर पता लगा है कि डेल्टा प्लस शरीर में बनी हुई एंटीबॉडी को खत्म करने लगता है। अगर ऐसा है तो यह बेहद खतरनाक है। क्योंकि लोगों को दिए जाने वाली वैक्सीन से शरीर में रोग के खिलाफ लड़ने की एंटीबॉडी बनने लगती हैं।
इसके अलावा वायरस का बदला हुआ यह स्वरूप फेफड़ों की कोशिकाओं को भी बहुत जल्दी मार देता है। जिन संक्रमित मरीजों में डेल्टा प्लस वैरिएंट मिला है उनके फेफड़ों के काम करने की क्षमता पर बहुत जल्दी असर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बदले हुए स्वरूप से फेफड़ों की कोशिकाओं पर बहुत जल्दी दुष्प्रभाव पड़ने लगता है।