नयी दिल्ली, तीन नवंबर (ए) दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने चार साल के बेटे का यौन शोषण करने के लिए एक व्यक्ति की दोषसिद्धि और 10 साल की सजा को बरकरार रखा है और कहा है कि यह अपराध न किसी निजी व्यक्ति के खिलाफ है, बल्कि परिवार तथा समाज के ताने-बाने के खिलाफ है।.
