ईडी ने शिवशंकर के खिलाफ कई आरोप लगाए

राष्ट्रीय
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कोच्चि, 29 अक्टूबर (ए) सोने की तस्करी मामले में पैसों के लेन-देन की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव एम शिवशंकर के खिलाफ कई आरोप लगाए हैं। शिवशंकर को इस बहुचर्चित मामले में बुधवार की रात गिरफ्तार किया गया था।

केंद्रीय एजेंसियां-एनआईए, सीमा शुल्क विभाग और ईडी, पांच जुलाई को तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक राजनयिक सामान से करीब 15 करोड़ रुपये मूल्य के सोने की जब्ती की अलग-अलग जांच कर रही हैं।

ईडी ने आरोप लगाया है कि शिवशंकर ने हवाई अड्डे पर सोने वाले राजनयिक सामान को सीमा शुल्क विभाग की जांच के बिना मंजूरी के लिए हस्तक्षेप किया था।

शिवशंकर को यहां की एक अदालत ने सात दिनों के लिए एजेंसी की हिरासत में भेज दिया है।

ईडी ने गिरफ्तारी आदेश में दावा किया है कि 15 अक्टूबर को दिए गए अपने बयान में शिवशंकर ने स्वीकार किया कि उन्होंने सोना तस्करी मामले में मुख्य आरोपी स्वप्ना सुरेश की इच्छानुसार एक वरिष्ठ सीमा शुल्क अधिकारी से बातचीत और अनुरोध किया था।

ईडी ने आदेश में कहा, ‘‘यह स्वप्ना सुरेश द्वारा किए गए अपराधों में आपकी सीधी संलिप्तता को स्पष्ट करता है।”

जांच एजेंसी ने कहा कि शिवशंकर और स्वप्ना के बीच व्हाट्सएप चैट से पता चलता है कि स्वप्ना ने कुछ काम के लिए शिवशंकर से हवाई अड्डा के टर्मिनल मैनेजर व अन्य अधिकारियों के साथ हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था।

एजेंसी ने कहा कि यह लोक कार्यालय के दुरुपयोग और अन्य सरकारी विभागों के कामकाज में हस्तक्षेप करने के समान भी है।

एजेंसी ने कहा, ‘‘यह पाया गया है कि 2019 और 2020 के बीच 21 खेप भेजी गयी थीं और शिवशंकर के शामिल होने से अपराध में मदद मिली है।’’

एजेंसी ने बृहस्पतिवार को अधिकारी को 14 दिनों की हिरासत में देने का अनुरोध किया, जब उन्हें विशेष धनशोधन निवारण कानून (पीएमएलए) संबंधी अदालत में पेश किया गया।

इसने कहा कि पीएमएलए जांच में पता चला है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की तिरुवनंतपुरम सिटी शाखा में 30 नवंबर, 2018 को शिवशंकर के निर्देश पर स्वप्ना सुरेश और उनके चार्टर्ड एकाउंटेंट पी वेणुगोपाल के नाम से संयुक्त रूप से बैंक लॉकर किराए पर लिया गया था।

ईडी ने कहा कि वेणुगोपाल ने भी स्वीकार किया है कि शिवशंकर चाहते थे कि वह स्वप्ना सुरेश के वित्त का प्रबंधन करें। वेणुगोपाल ने इस संबंध में व्हाट्सएप संदेश पेश किए हैं।

अदालत ने अधिकारी को सात दिनों के लिए प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेजते हुए कहा कि इस दौरान आरोपी को किसी भी तरह से प्रताड़ित नहीं किया जाए। उन्हें अपने वकील से संपर्क करने की आजादी दी जाएगी और पूछताछ अगर तीन घंटे तक जारी रहती है तो बीच में एक घंटे का ब्रेक होगा।

अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि पूछताछ केवल सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक की जाएगी और शाम छह बजे के बाद कोई पूछताछ नहीं होगी।