उत्तर प्रदेश सरकार अपराधियों को हिंदू, मुसलमान के रूप में नहीं देखती : केशव प्रसाद मौर्य

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली, 17 सितंबर (ए) उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि राज्य सरकार अपराधियों को हिंदू-मुसलमान के रूप में नहीं देखती, बल्कि बिना भेदभाव के कानून सम्मत तरीके से उनके खिलाफ कार्रवाई करती है।.

मौर्य ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस जैसे मुद्दाविहीन विरोधी दल ऐसा दुष्प्रचार कर रहे हैं कि सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, ताकि उन्हें चुनाव में फायदा मिल सके।

उपमुख्यमंत्री ने ‘’ को दिए विशेष साक्षात्कार में उत्तर प्रदेश में प्रचलित ‘बुलडोजर शब्दावली’ को मीडिया प्रचारित बताया। उन्होंने विपक्ष पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि उत्तर प्रदेश में विधिक प्रक्रिया पर अमल किए बिना किसी का घर ढहाए जाने का कोई उदाहरण नहीं है।

मौर्य ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में गरीबों, कमजोरों, व्यापारियों और उद्योगपतियों की जमीन पर कब्जे की शिकायत मिलने पर उसकी जांच की जाती है और दोषियों के खिलाफ उचित विधिक प्रक्रिया का पालन करते हुए ठोस कार्रवाई की जाती है, फिर चाहे वे हिंदू हों या मुसलमान।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार भारत छोड़ो, तुष्टीकरण भारत छोड़ो, परिवारवाद भारत छोड़ो का आह्वान किया है। उनके आह्वान पर देश जिस तरह से एकजुट हो जाता है, उसे देखते हुए मुझे यकीन है कि तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले दलों को 2024 के लोकसभा चुनावों में उचित जवाब मिल जाएगा।’’

यह पूछे जाने पर कि देश में न्यायपालिका के होते हुए बुलडोजर से न्याय करना ठीक है? मौर्य ने कहा, ‘‘बुलडोजर शब्द को मीडिया ने प्रचारित किया है। सामान्य स्थिति में जब अवैध कब्जे की शिकायत आती है, तो विधिक प्रक्रिया के तहत जांच कर नोटिस दिया जाता है। किसी को नोटिस दिए बगैर उसका घर गिराया गया है, तो बताएं।’’

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा की सरकारों में भी अवैध कब्जे हटाए जाते थे, लेकिन तब कब्जे ज्यादा होते थे और उन्हें हटाया कम जाता था।

उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि सरकार अंतिम प्राधिकार है। अगर हमने किसी निर्माण को ढहाया है और कोई कहता है कि निर्माण वैध था, तो वह अदालत का रुख कर सकता है। सरकार अदालत में अपना पक्ष रखने के लिए तैयार है।’’

यह पूछे जाने पर कि भाजपा मुसलमानों को अपने साथ लाने की कोशिश करती है, लेकिन उन्हें टिकट नहीं देती? मौर्य ने कहा, ‘‘हम मुसलमानों को साथ लाना चाहते हैं और ऐसा कर भी रहे हैं। जो मुसलमान चुनाव जीतने की स्थिति में हैं, हम उन्हें टिकट भी दे रहे हैं। हमने कई मुसलमानों को स्थानीय निकाय का चुनाव लड़वाया। नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव, पंचायत चुनाव, नगर निगम पार्षद चुनाव में भी उन्हें मैदान में उतारा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम सबका साथ, सबका विकास, सबको सम्मान, सबको स्थान देने का लगातार प्रयास करते हैं। इसलिए विपक्ष में खलबली मची हुई है।’’

मौर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पसमांदा मुसलमानों के कल्याण की बात की, जिनकी आबादी सबसे ज्यादा है, लेकिन विपक्ष ने उन्हें केवल भाजपा के खिलाफ भड़काने का काम किया और उनकी गरीबी दूर करने के लिए कुछ नहीं किया।

उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में सरकार ने चार करोड़ से अधिक प्रधानमंत्री आवास दिए हैं और सभी मोदी जी की जय-जयकार कर रहे हैं, लेकिन विपक्षी नेताओं से यह जय-जयकार नहीं सुनी जा रही है।

मौर्य ने कहा कि आज का भारत आत्मनिर्भर भारत है, स्वावलंबी भारत है, सम्मान से भरा हुआ भारत है, विकास के पथ पर आगे बढ़ता हुआ भारत है और यह सब मोदी जी के नेतृत्व के कारण हुआ है।

जातीय जनगणना के बारे में सपा सहित अन्य दलों के आरोपों पर मौर्य ने कहा, ‘‘मैं जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं हूं और न ही मेरी पार्टी, लेकिन लोग जो जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं, उनकी पृष्ठभूमि देखना जरूरी है। यह मांग अखिलेश यादव कर रहे हैं, जो परिवारवाद की राजनीति, जातिवाद की राजनीति करने वालों में शामिल हैं।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए वे मुद्दा खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि चुनाव में कुछ वोट हासिल हो सकें।

मौर्य ने सपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पार्टी जब सत्ता में थी, तब एक ही परिवार को फायदा मिला, एक ही परिवार का प्रदेश अध्यक्ष बना, एक ही परिवार का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना और मंत्री, सांसद और जिला पंचायत अध्यक्ष भी एक ही परिवार के हुए।

उन्होंने आरोप लगाया कि सपा के मन में पिछड़ों के लिए कोई दया भाव नहीं, उसका एक ही एजेंडा रहता है कि ऐसा कोई तिकड़म करे, जिससे कुछ वोट हासिल हो जाएं।

उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं सपा अध्यक्ष से कहना चाहूंगा कि जातीय जनगणना की मांग करने से पहले वह पार्टी में जातीय न्याय करें। अगर वह अपनी पार्टी के अंदर जातीय न्याय नहीं कर सकते, तो उन्हें जातीय जनगणना की मांग उठाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।’