एमएसपी पर कानून लाने के लिए दिन भर का संसद सत्र बुलाए सरकार : किसान नेता

राष्ट्रीय
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चंडीगढ़: 20 फरवरी (ए) किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने मंगलवार को कहा कि केंद्र को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून लाने के वास्ते एक दिन का संसद सत्र बुलाना चाहिए।उन्होंने केंद्र से कृषि ऋण माफी समेत किसानों की अन्य प्रमुख मांगों को स्वीकार करने को भी कहा।

उनका यह बयान ‘दिल्ली चलो’ मार्च में भाग लेने वाले किसान नेताओं द्वारा पांच साल के लिए एमएसपी पर दालों, मक्का और कपास की खरीद के केंद्र के प्रस्ताव को खारिज किए जाने के एक दिन बाद आया है। किसान नेताओं ने कहा है कि केंद्र का प्रस्ताव किसानों के पक्ष में नहीं है।

रविवार को किसान नेताओं के साथ चौथे दौर की बातचीत में तीन केंद्रीय मंत्रियों की समिति ने प्रस्ताव दिया था कि किसानों के साथ समझौता करने के बाद सरकारी एजेंसियां पांच साल तक दालें, मक्का और कपास एमएसपी पर खरीदेंगी।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ‘दिल्ली चलो’ मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं।

मंगलवार को पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू बॉर्डर पर पत्रकारों से बातचीत में किसान मजदूर मोर्चा का प्रतिनिधित्व करने वाले पंधेर ने कहा, ‘‘हमारी मांग है कि एमएसपी की गारंटी का कानून लाया जाए। अगर प्रधानमंत्री के पास इच्छाशक्ति होगी तो संसद का एक दिन का सत्र बुलाया जा सकता है। कोई भी विपक्षी दल इसका विरोध नहीं करेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं मांग करता हूं कि सभी विपक्षी दल अपना रुख स्पष्ट करें कि अगर केंद्र एमएसपी पर कानून लाता है, तो वे इसके लिए वोट करेंगे। चाहे शिरोमणि अकाली दल हो या कांग्रेस – उन्हें अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस और अन्य दलों को भी अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।’’

पंधेर ने कहा कि किसानों की तीन बड़ी मांगें हैं – सभी फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग द्वारा अनुशंसित ‘सी2 प्लस 50 प्रतिशत’ फॉर्मूले का कार्यान्वयन और ऋण माफी।

पंधेर ने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक में किसानों ने प्रस्ताव दिया कि संसद का विशेष सत्र बुलाकर एमएसपी पर कानून बनाया जाए।

कर्ज माफी के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक किसानों पर कुल 18.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है।उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से यह घोषणा करने का अनुरोध किया कि कृषि ऋण माफ कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक तंत्र बाद में तैयार किया जा सकता है।पंधेर ने कहा, ‘‘भाजपा का दावा है कि मौजूदा प्रधानमंत्री एक मजबूत प्रधानमंत्री हैं। अगर वह 80 करोड़ किसानों और खेत मजदूरों का कर्ज माफ करने का ऐलान कर देते हैं तो इससे भाजपा के इस दावे पर मुहर लग जाएगी कि वह वाकई एक मजबूत प्रधानमंत्री हैं।’’

दिल्ली चलो’ मार्च पर एक सवाल का जवाब देते हुए किसान नेता ने कहा, ‘‘हम अपनी घोषणा (बुधवार को दिल्ली जाने की) पर कायम हैं।’’

वहीं, एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा किसानों की कोई मांग नहीं मानी गई है।

विरोध प्रदर्शन के दौरान दो किसानों की मौत के मुद्दे पर पंधेर ने कहा कि पंजाब सरकार को इस संबंध में एक नीति की घोषणा करनी चाहिए। उन्होंने मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजा और घर के एक सदस्य के लिए नौकरी की मांग की।

खनौरी सीमा बिंदु पर विरोध प्रदर्शन का हिस्सा रहे 72 वर्षीय एक किसान की रविवार को हृदय गति रुकने से मौत हो गई। इससे पहले शंभू बॉर्डर पर 63 साल के एक किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी।

वहीं, एक और किसान नेता अशोक बुलारा ने कहा, ‘‘या तो हमारी मांगें स्वीकार करें या हमें शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली की ओर जाने की अनुमति दी जाए।’’

इस बीच, भाजपा की पंजाब इकाई के प्रमुख सुनील जाखड़ ने मुख्यमंत्री भगवंत मान पर आरोप लगाया कि वह किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच किसी समाधान पर सहमति बनने के प्रयासों को बाधित कर रहे हैं।

पंजाब के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मान रविवार को केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच बैठक में शामिल हुए थे।

जाखड़ ने कहा कि यह ‘अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि किसानों और केंद्र के बीच बातचीत सफल नहीं हुई है।

सोमवार के घटनाक्रम पर उन्होंने दावा किया कि अब मान न केवल केंद्र की ‘गलत छवि’ पेश करने में सक्षम होंगे, बल्कि उन किसानों को दिल्ली की ओर निर्देशित करने में भी सफल होंगे, जो शुरू में चंडीगढ़ तक मार्च करना चाहते थे।

जाखड़ ने कहा, ‘निश्चित रूप से, वह किसानों और केंद्रीय मंत्रियों की टीम के समाधान तक पहुंचने के गंभीर प्रयासों को खतरे में डालकर इस मिशन में सफल हुए हैं।’

इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा के प्रति निष्ठा रखने वाले किसान संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए पंजाब में टोल प्लाजा पर विरोध प्रदर्शन किया।

भारती किसान यूनियन (एकता उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि किसानों ने 13 जिलों में 23 टोल प्लाजा पर धरना दिया और अधिकारियों को यात्रियों से टोल शुल्क नहीं लेने दिया।

सोमवार शाम एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा था, ‘हमारे दो मंचों पर चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया है कि केंद्र का प्रस्ताव किसानों के हित में नहीं है और हम इसे अस्वीकार करते हैं।’

सुरक्षाबलों द्वारा ‘दिल्ली चलो’ मार्च को रोके जाने के बाद प्रदर्शनकारी किसान पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर रुके हुए हैं।

उन्होंने 13 फरवरी को अपना मार्च शुरू किया था लेकिन सुरक्षाबलों ने उन्हें रोक दिया, जिसके कारण शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर झड़पें हुईं।