ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक संहिता पर सवालिया निशान लगाया

उत्तर प्रदेश लखनऊ
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लखनऊ: छह फरवरी (ए) ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता पर सवालिया निशान लगाया है, जिसे उत्तराखंड सरकार ने आज विधानसभा में पेश किया था।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारी समिति के सदस्य खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया, “मूल रूप से इस तरह के समान नागरिक संहिता का कोई मतलब नहीं है, जब आप खुद कह रहे हैं कि कुछ समुदायों को अधिनियम से छूट दी जाएगी, तो फिर एकरूपता कहां है । यूसीसी का मतलब है कि राज्य में प्रत्येक नागरिक पर समान कानून लागू किया जाना चाहिए ।’’उन्होंने कहा, ‘चूंकि हम सभी जानते हैं कि अभी भी हमारे पास संविधान का अनुच्छेद 25 है, (विवेक की स्वतंत्रता और स्वतंत्र पेशे, अभ्यास और धर्म का प्रचार)। प्रत्येक नागरिक को दिन-प्रतिदिन अपने जीवन धर्म का पालन करने का पूर्ण संवैधानिक अधिकार है, तो आप धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप क्यों कर रहे हैं, क्योंकि पर्सनल ला प्रत्येक समुदाय का धार्मिक मामला है।”

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य विधानसभा में मंगलवार को बहुप्रतीक्षित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश किया, जिसमें बहुविवाह और ‘हलाला’ जैसी प्रथाओं को आपराधिक कृत्य बनाने तथा ‘लिव-इन’ में रह रहे जोड़ों के बच्चों को जैविक बच्चों की तरह उत्तराधिकार दिए जाने का प्रावधान है।

यूसीसी विधेयक को पारित कराने के लिए बुलाये गये विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन पेश ‘समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड-2024’ विधेयक में धर्म और समुदाय से परे सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, संपत्ति जैसे विषयों पर एक समान कानून प्रस्तावित है ।

हालांकि, इसके दायरे से प्रदेश में रह रही अनुसूचित जनजातियों को बाहर रखा गया है ।