कारखाने में आग से मरने वालों की संख्या बढ़कर पांच हुई, आग बुझाने के प्रयास जारी

राष्ट्रीय
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शिमला: तीन फरवरी (ए) हिमाचल प्रदेश में सोलन के बद्दी औद्योगिक क्षेत्र में एक इत्र निर्माण कारखाने में आग लगने से मृतकों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है। इस घटना के लगभग 30 घंटे बाद भी अग्निशमन कर्मी आग पर काबू पाने में जुटे हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आग शुक्रवार अपराह्न पौने तीन बजे लगी थी। अभी भी नौ लोग लापता हैं जिनके लिए तलाशी एवं बचाव अभियान चलाया जा रहा है, जबकि 31 लोग घायल हुए हैं।सोलन के उपायुक्त मनमोहन शर्मा ने बताया कि एक महिला को उपचार के लिए चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर अस्पताल भेजा गया जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद घटनास्थल से चार शव बरामद हुए।

उन्होंने बताया कि आग पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है क्योंकि इत्र और सौंदर्य प्रसाधन के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले ज्वलनशील पदार्थ में आग लगी है।

पुलिस ने यहां जारी एक बयान में बताया कि इस मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 285 (लापरवाही), 336 (जीवन को खतरे में डालना), 337 (चोट पहुंचाना तथा गैर इरादतन हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने घटनास्थल पर स्थिति का जायजा लिया और मामले की जांच के लिए लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अशोक वर्मा के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करने का निर्देश दिया।

उपायुक्त शर्मा ने बताया कि घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं और मृतकों के परिजनों और घायलों को उचित अनुग्रह राशि दी जाएगी।

शर्मा ने कहा, ‘‘लोग अपनी जान बचाने के लिए इमारत की पहली और दूसरी मंजिल से कूद गए और उन्हें हाथ, पैर तथा कुछ को तो रीढ़ की हड्डी में भी चोटें आयी हैं।’’

उन्होंने बताया कि आग लगने की वजह का अभी पता नहीं चला है और फॉरेंसिक विभाग का एक दल जांच कर रहा है।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सौंदर्य प्रसाधन सामग्री से निकल रहे धुएं के गुबार के चलते आग पर काबू पाने में बाधा आई और श्रमिक जान बचाने के लिए इमारत की छत पर चढ़ गए।

घटना में लापता लोगों के परिवार के सदस्य और मित्र कारखाने के बाहर इंतजार कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक भावुक महिला का वीडियो भी प्रसारित हो रहा है जिसमें वह कारखाने में काम करने वाली अपनी लापता बेटी का इंतजार कर रही है।पुलिस ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) वर्तमान में घटनास्थल की संरचनात्मक सुरक्षा का आकलन कर रहा है और यहां कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसी खतरनाक गैसों को हटाने का काम कर रहा है।

फोरेंसिक विशेषज्ञों का एक दल मंजूरी के बाद घटनास्थल का निरीक्षण करेगा और आवश्यक साक्ष्य एकत्र करेगा। पुलिस महानिदेशक ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार से केंद्र सरकार की सेंट्रल फोरेंसिक साइंस टीम से सहायता का अनुरोध किया है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आग लगने वाली जगह का प्रस्तावित दौरा नहीं कर सके क्योंकि खराब मौसम के कारण उनका हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर सका।