काशी के छोटे-बड़े मंदिरों में पूजा पाठ सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन

उत्तर प्रदेश वाराणसी
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वाराणसी (उप्र): 22 जनवरी (ए) अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के दिन सोमवार को काशी के लगभग सभी छोटे बड़े मंदिरों में पूजा पाठ सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी पीयूष तिवारी ने बताया कि अयोध्या में राम लला के प्राण प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर काशी विश्वनाथ मंदिर में सुबह से ही वेद शास्त्रियों द्वारा वेद पाठ किया जा रहा है। मंदिर परिसर में दो एलसीडी स्क्रीन लगाई गयी है, जिस पर अयोध्या में जारी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का सजीव प्रसारण दिखाया जाएगा। साथ ही मंदिर में डमरू और शंख भी बजाए जा रहे हैं।उन्‍होंने बताया कि भारतीय संगीत कला केंद्र द्वारा मंदिर परिसर में कथक सहित अन्य कार्यक्रम प्रस्तुत किये जायेंगे। शाम को काशी विश्वनाथ मंदिर दीपों से जगमग किया जाएगा।

बटुक भैरव मंदिर के महंत जितेंद्र मोहन पूरी ने बताया कि अयोध्या में श्री राम लला के प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर बटुक भैरव मंदिर को फूलों से सजाया गया है। पूरे मंदिर परिसर में 5100 दीप प्रज्वलित किए जाएंगे और इसके साथ ही सुंदर कांड का पाठ किया जाएगा।

राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा को देखते हुए वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर भव्य गंगा महाआरती का आयोजन किया जाएगा। गंगा सेवा निधि के सुशांत मिश्रा ने बताया कि अयोध्या में श्री राम लला के प्राण प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए 22 जनवरी की देर शाम होने वाली गंगा आरती को ‘महाआरती’ के रूप में आयोजित किया जाएगा।

सामान्य दिनों में वाराणसी की विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती को सात अर्चकों द्वारा सम्पन्न कराया जाता है, लेकिन आज के विशेष दिन को देखते हुए नौ अर्चकों द्वारा गंगा आरती सम्पन्न कराई जाएगी और इसको ‘महाआरती’ का रूप दिया जाएगा। आरती के बाद राम भजन गाया जाएगा। शाम को आरती के बाद दशाश्वमेध घाट पर दीपोत्सव का आयोजन किया जाएगा साथ ही श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया जाएगा।

वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर नाविक समाज द्वारा श्रद्धालुओं को इस पार से उस पार जाने के लिए मुफ्त सेवा दी जा रही है।

‘मां गंगा निषाद राज सेवा न्यास’ के मंत्री शम्भू साहनी ने बताया कि वन गमन के समय निषाद राज ने प्रभु श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता को अपनी नौका से बिना शुल्क लिए नदी पार कराया था। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए नाविक समाज श्रद्धालुओं और यात्रियों के लिए आज नौकाओं को पूरी तरह से मुफ्त चला रहा है और साथ में यात्रियों को चाय और नाश्ता भी दिया जा रहा है।