काशी विद्यापीठ वाराणसी मे डेरा डालो घेरा डालो कार्यक्रम की हुई शुरुआत

उत्तर प्रदेश वाराणसी
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वाराणसी,08 नवम्बर (एएनएस )। अनुदानित महाविद्यालय/ विश्वविद्यालय त योजना में संचालित पाठ्यक्रमों में कार्यरत शिक्षकों के वेतन व सेवा के संबंध में जारी शासनादेश 13 मार्च 2020 का अनुपालन सुनिश्चित कराने हेतु काशी विद्यापीठ वाराणसी में परिसर के शिक्षक पिछले 2 नवंबर से धरने पर बैठकर सत्याग्रह कर रहे हैं।अनुदानित महाविद्यालय/ विश्वविद्यालय अनुमोदित शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ विजय प्रताप तिवारी एक दर्जन शिक्षकों के साथ महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी में चल रहे शिक्षकों के सत्याग्रह आंदोलन को धरना स्थल पर पहुंचकर समर्थन दिया तथा “डेरा डालो- घेरा डालो” कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की। शिक्षक संघ ने महामहिम राज्यपाल महोदया को ई-मेल से पत्र भेजकर अपने प्रदेश व्यापी आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विजय प्रताप तिवारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में स्थापित राज्य विश्वविद्यालयों के परिसर तथा अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में संचालित स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों तथा स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की सेवा पाठ्यक्रम के चलते रहने तक जारी रहने का शासनादेश है। ऐसे शिक्षकों के रहते उन पाठ्यक्रमों में नए सिरे से साक्षात्कार नहीं कराया जा सकता, बावजूद इसके काशी विद्यापीठ के वर्तमान कुलपति प्रोफ़ेसर टी.एन सिंह परिसर में कार्यरत शिक्षकों को हटाकर अपने चहेतों की नियुक्ति करना चाहते हैं। कुलपति की इस प्रकार की तानाशाही शिक्षक बर्दाश्त नहीं करेगा और काशी विद्यापीठ वाराणसी परिसर के शिक्षकों के समर्थन में प्रदेशभर के शिक्षक प्रदेश सरकार और महामहिम राज्यपाल का कार्यालय हजारों पत्रों से भर देगा। इस पर भी यदि कुलपति नहीं माने तो प्रदेश भर में स्थापित समस्त राज्य विश्वविद्यालयों में आगामी 11 नवंबर 2020 को शिक्षक काशी विद्यापीठ वाराणसी के कुलपति का पुतला फूंकने का काम करेगा। 12 नवंबर से 17 नवंबर 2020 तक काशी विद्यापीठ के तानाशाह कुलपति के खिलाफ सभी राज्य विश्वविद्यालयों में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। और 18 नवंबर से काशी विद्यापीठ वाराणसी परिसर में मांग माने जाने तक शिक्षक आमरण अनशन पर बैठेंगे। प्रदेश सह संयोजक डॉ ओमकार पांडे ने कहा कि सभी राज्य विश्वविद्यालयों में स्ववित्तपोषित शिक्षकों के साथ शोषण किया जा रहा है। शिक्षक इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। कुलपतियों को यह समझ लेना चाहिए कि अब हम संविदा शिक्षक नहीं हैं, हमारे पाठ्यक्रम स्थाई संबद्धता के अंतर्गत आते हैं, इसीलिए हम सभी नियमित शिक्षक हैं और शिक्षकों के लिए जो भी सुविधाएं अनुमन्य है उस के हकदार हैं।