छात्र को थप्पड़ मारने की घटना इसलिए हुई क्योंकि अपेक्षा के अनुरूप कार्रवाई नहीं हुई: न्यायालय

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: 12 जनवरी (ए) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में शिक्षिका के कहने पर एक मुस्लिम बच्चे को एक सहपाठी द्वारा थप्पड़ मारने के बाद का घटनाक्रम इस बात का परिणाम है कि अपराध होने के बाद सरकार ने अपेक्षित कार्रवाई नहीं की।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि जिस तरह से घटना हुई, उसके बारे में राज्य सरकार को चिंतित होना चाहिए था। पीठ ने याचिकाकर्ता तुषार गांधी की ओर से पेश अधिवक्ता शादान फरासत से कहा कि वह पीड़ित बच्चे और उसके सहपाठियों की काउंसलिंग के संबंध में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की सिफारिशों के कार्यान्वयन पर राज्य सरकार को सुझाव दें।

न्यायालय महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें मामले की शीघ्र जांच की मांग की गई थी।

पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए नौ फरवरी की तारीख निर्धारित करते हुए कहा, ‘‘यह सब इसलिए हुआ, क्योंकि सरकार ने अपराध के बाद वह नहीं किया, जो उससे अपेक्षित था। जिस तरह से घटना हुई, उसके बारे में सरकार को चिंतित होना चाहिए था। इसलिए हमने शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून पर अमल के संबंध में अन्य मुद्दे भी उठाए हैं।’’

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कहा कि राज्य के शिक्षा विभाग ने टीआईएसएस रिपोर्ट के कार्यान्वयन पर एक हलफनामा दायर किया है।

फरासत ने हलफनामे को “अपर्याप्त” बताया और कहा कि उन्हें इस पर विस्तृत जवाब दाखिल करने की जरूरत है, खासकर टीआईएसएस द्वारा की गई सिफारिशों के कार्यान्वयन के मसले पर।

पीठ ने फरासत से कहा कि वह पीड़ित बच्चे के पिता से सलाह लेने के बाद राज्य सरकार को अपने सुझाव लिखित में दें, ताकि संबंधित सिफारिशों को लागू किया जा सके।

प्रसाद ने कहा कि पीड़ित बच्चे को अपने नये स्कूल में जाने के लिए 28 किलोमीटर की यात्रा तय करनी होगी।

उन्होंने कहा, ”हालांकि यह उन्हें (बच्चे के परिवार को) तय करना है, मैं सिर्फ इस तथ्य की ओर इशारा कर रही हूं कि छोटे बच्चे को स्कूल जाने के लिए हर दिन 28 किमी की यात्रा करनी पड़ती है।”

उन्होंने कहा कि यह आरटीई अधिनियम के जनादेश के खिलाफ है, जिसमें प्रावधान है कि कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थी को एक किलोमीटर के दायरे वाले स्कूल में दाखिला दिया जाएगा जबकि कक्षा छह से आठ तक के विद्यार्थी तीन किमी के दायरे में स्थित स्कूल में पढ़ेंगे।

पीठ ने कहा कि वह पहले टीआईएसएस की सिफारिशों के कार्यान्वयन पर गौर करेगी और फिर आरटीई के पहलुओं पर विचार करेगी।

शीर्ष अदालत ने 10 नवंबर, 2023 को पीड़ित बच्चे की काउंसलिंग के लिए एक एजेंसी नियुक्त करने के अपने आदेश का पालन नहीं करने के लिए राज्य सरकार को फटकार लगाई थी।

मुजफ्फरनगर पुलिस ने मुस्लिम लड़के के खिलाफ कथित तौर पर सांप्रदायिक टिप्पणी करने और उसके सहपाठियों को होमवर्क पूरा न करने पर उसे थप्पड़ मारने का निर्देश देने के आरोप में महिला शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज किया था। स्कूल को राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा एक नोटिस भी दिया गया था।

एक वीडियो में शिक्षिका पर कथित तौर पर खुब्बापुर गांव में छात्रों से कक्षा-दो के एक लड़के को थप्पड़ मारने के लिए कहने और सांप्रदायिक टिप्पणी करने के बाद मामला दर्ज किया गया था।