डब्ल्यूएफआई को निलंबित करने का फैसला दबाव में लिया गया : विपक्षी नेता

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली,24 दिसंबर (ए)।विपक्षी नेताओं ने रविवार को कहा कि नवनिर्वाचित भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को निलंबित करने का सरकार का फैसला प्रदर्शनकारी पहलवानों को न्याय देने के लिए पर्याप्त नहीं है।

उन्होंने सवाल किया कि डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के प्रति निष्ठावान व्यक्ति को खेल संघ का चुनाव लड़ने की अनुमति क्यों दी गई।डब्ल्यूएफआई के चुनाव 21 दिसंबर को हुए थे, जिसमें संजय सिंह और उनके पैनल ने बड़े अंतर से चुनाव जीता था।

खेल मंत्रालय ने रविवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया क्योंकि इस संस्था ने उचित प्रकिया का पालन नहीं किया और पहलवानों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिए बिना अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप के आयोजन की ‘जल्दबाजी में घोषणा’ की थी।

शरद पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाईड क्रास्टो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘समिति को निलंबित करके अगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाला मंत्रालय सोचता है कि वे महिला पहलवानों की मदद न करने से खुद को मुक्त कर रहे हैं, तो वे गलत हैं।’’ उन्होंने कहा कि मंत्रालय की कार्रवाई एक ‘मजाक’है।

कांग्रेस नेता उदित राज ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया द्वारा पदक वापस करने से खेल मंत्रालय पर हाल ही में हुए डब्ल्यूएफआई चुनाव को निलंबित करने का दबाव बढ़ा, इसका स्वागत है, लेकिन पीड़ितों को न्याय नहीं मिला है।’’

कांग्रेस नेता रंजीत रंजन ने संजय सिंह के चुनाव पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जब सिंह को पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख का ‘दाहिना हाथ’ माना जाता था, जिन्हें खिलाफ पहलवानों ने यौन उत्पीड़न की शिकायतें की थीं तो कैसे चुनाव लड़ने दिया गया।

रंजन ने कहा, ‘‘ यौन उत्पीड़न की शिकायत करने वाली सभी खिलाड़ी जानती थीं कि वह बृजभूषण सिंह का दाहिना हाथ है। क्या उस समय सरकार सो रही थी?हम कह सकते हैं कि यह निरंकुशता की पराकाष्ठा है और खिलाड़ियों का घोर अपमान है। खिलाड़ी हमारे लिए पदक लाते हैं और हम उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित नहीं कर पाते।’’

समाजवादी पार्टी (सपा) नेता फखरुल हसन चांद ने आरोप लगाया कि भाजपा बृजभूषण के प्रति निष्ठावान लोगों के चुनाव से पैदा हुई नाराजगी से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘ मुद्दा अब भी वहीं है, भाजपा केवल डब्ल्यूएफआई नामक संस्था को निलंबित करके लोगों का ध्यान भटका रही है जबकि महिलाओं और एथलीटों में आक्रोश बना हुआ है। ’’

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता ने हालांकि, फैसले का स्वागत किया। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ‘‘ मैं नवनिर्वाचित भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को निलंबित करने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करती हूं।’कविता ने कहा, ‘‘हमारे पहलवानों ने हमें गौरवान्वित किया है, कई महिलाएं वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना देख सकती हैं। वे एक निष्पक्ष एवं पारदर्शी व्यवस्था के पात्र हैं। आशा है कि यह निर्णय भारतीय कुश्ती के लिए एक मजबूत भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा।’’

मंत्रालय ने साथ ही कहा कि नवनिर्वाचित खेल निकाय ‘पूरी तरह से पूर्व पदाधिकारियों के नियंत्रण’ में काम कर रहा था जो राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुरूप नहीं है।

इसके बाद डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि उन्होंने इस खेल से संन्यास ले लिया है क्योंकि उनके पास कई अन्य जिम्मेदारियां हैं जिनमें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव शामिल हैं।

बृजभूषण ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने के बाद यह टिप्पणी की। इससे पहले खेल मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया था।

बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक सहित देश के चोटी के पहलवानों ने बृजभूषण पर महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाकर विरोध प्रदर्शन किया था।