तेलंगाना में दो दलों को ‘मिलता-जुलता’ चुनाव चिह्न दिये जाने के खिलाफ बीआरएस की याचिका पर विचार से न्यायालय का इनकार

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली, 20 अक्टूबर (ए) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उसने अपने चुनाव चिह्न ‘कार’ से ‘मिलता-जुलता चिह्न’ तेलंगाना के दो स्थानीय दलों को आवंटित करने के निर्वाचन आयोग के निर्णय को चुनौती दी थी।.

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ तेलंगाना के सत्तारूढ़ दल बीआरएस के वकील की दलीलों से सहमत नहीं थी कि ये चुनाव चिह्न एक राजनीतिक दल के रूप में उसके लिए ‘गंभीर नुकसान’ का कारण बनेंगे।.बीआरएस की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और मीनाक्षी अरोड़ा ने निर्वाचन आयोग की 25 सितम्बर की उस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की, जिसके तहत आयोग ने ‘युग तुलसी पार्टी’ और ‘अलायंस ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स पार्टी’ को क्रमश: ‘रोड रॉलर’ और ‘चपटी रॉलर’ चुनाव चिह्न आवंटित किये थे।

युग तुलसी पार्टी’ की ओर से पेश अधिवक्ता श्रवण कुमार करणम ने बीआरएस की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ईवीएम में राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्न के अलावा उम्मीदवारों की तस्वीरें भी होंगी और इसलिए याचिका आधारहीन है।

पीठ ने पूछा, ‘‘क्या आपको लगता है कि मतदाता इतने अनजान हैं कि वे इन चुनाव चिह्नों के बीच अंतर नहीं समझेंगे।’’

इसने कुमार की उन दलीलों का संज्ञान लिया कि बीआरएस ने पहले दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां मामले पर विचार की संभावना न होने की स्थिति भांपकर याचिका वापस ले ली थी।

शीर्ष अदालत ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसके कारण बीआरएस को इसे वापस लेना पड़ा।

इस बीच, पीठ ने इसी तरह के मुद्दे पर तेलंगाना उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ बीआरएस की एक अन्य अपील पर भी विचार करने से इनकार कर दिया।

बीआरएस ने महासचिव सोमा भरत कुमार के माध्यम से दायर अपनी याचिका में चुनाव चिह्न को लेकर निर्वाचन आयोग के निर्देश को रद्द करने की मांग की गयी थी।