न हम डरते हैं और न डराते हैं’—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

राष्ट्रीय
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पिथौरागढ़, 12 अक्टूबर (ए) पूर्ववर्ती सरकारों की आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में ‘दुश्मन के डर’ के कारण विकास न करने की सोच को पीछे छोड़कर भारत आज आगे बढ़ रहा है ।.

यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क, पुल, सुरंग सहित सुविधाओं का तेजी से विकास हो रहा है ।.

इस संबंध में किसी का नाम लिए बगैर उन्होंने सवाल पूछा कि यह काम पहले की सरकारों ने क्यों नहीं किया। इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें डर था कि कहीं इसका फायदा उठाकर दुश्मन अंदर न आ जाए ।

इस तर्क का मजाक उड़ाते हुए उन्होंने कहा कि इस डरी हुई सोच को पीछे छोड़कर भारत आज आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘न हम डरते हैं, न डराते हैं।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की सीमा पर हम आधुनिक सड़कें, सुरंगे और पुल बना रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सीमावर्ती क्षेत्रों में पिछले नौ वर्षों में 4200 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सड़के बनाई गयीं, सीमा पर 250 बड़े पुल और 22 सुरंगे बनाईं। आज के कार्यक्रम में भी अनेक पुलों का शिलान्यास हुआ है।’’

उन्होंने कहा कि अब तो हम सीमावर्ती क्षेत्रों में रेलगाड़ियां तक लाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीमांत गांवों को देश का अंतिम नहीं बल्कि पहला गांव मानकर उनका विकास किया जा रहा है।

इस संबंध में उन्होंने ‘वाइब्रेंट विलेज’ योजना का जिक्र किया और कहा कि सरकार का प्रयास है कि सीमांत गांवों से पलायन कर गए लोग वापस आएं ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि माना जाता है कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आती लेकिन उन्होंने कहा कि उन्होंने संकल्प लिया है कि इस अवधारणा को वह बदल देंगे ।

उन्होंने कहा कि अतीत की गलत नीतियों के कारण उत्तराखंड के गांव वीरान हो गए। लेकिन उन्होंने कहा कि अब स्थितियां बदल रही हैं और लोग वापस लौटने लगे हैं। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार का प्रयास है कि गांव वापसी का काम तेजी से हो और इसके लिए बिजली परियोजनाओं, मोबाइल टावरों, स्कूल कॉलेजों और अस्पतालों पर बड़ा निवेश किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने सेब सहित फलों और सब्जियों के उत्पादन की अपार संभावनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि यहां बिजली, पानी और सड़कें पहुंचने से किसान भी प्रोत्साहित हो रहे हैं तथा सेब तथा अन्य योजनाओं पर 1100 करोड़ रू खर्च होने वाला है ।

उन्होंने कहा कि आज दुनिया में भारत का गौरवगान हो रहा है। उन्होंने कहा कि एक समय था जब देश में चारों तरफ निराशा का माहौल था और तब हर भारतीय सोचता था कि हजारों करोड़ के घोटालों से देश को मुक्ति मिले और दुनिया में भारत का यश बढ़े ।

उन्होंने कहा, ‘जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत की ताकत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया। चुनौतियों से घिरी दुनिया में भारत की आवाज बुलंद होती जा रही है। जी20 के शानदार आयोजन से हम भारतीयों का लोहा दुनिया ने माना है।

उनका भारत को देखना पूरा नहीं होगा।

उत्तराखंड में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें उनसे निपटने की अपनी तैयारियों को बेहतर करते रहना होगा।

उन्होंने कहा कि इसके लिए आगामी चार—पांच सालों में उत्तराखंड में 4000 करोड़ रू खर्च किए जाएंगे और प्रदेश में ऐसी सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा जिससे आपदा की स्थिति में बचाव और राहत का काम तेजी से हो।

उन्होंने कहा कि आजादी के अमृतकाल में बाबा केदार, बदरी विशाल और आदि कैलाश के आशीर्वाद से संकल्प सिद्धि तक पहुंचेंगे ।

उत्तराखंड के सामर्थ्य को अद्भुत और अतुलनीय बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले उन्हें बाबा केदार के चरणों में बैठकर विश्वास हुआ था कि यह दशक उत्तराखंड का है और आज आदि कैलाश के चरणों में बैठकर फिर विश्वास हुआ है कि उत्तराखंड विकास की नई उंचाई पर पहुंचेगा ।

उत्तराखंड के सामर्थ्य को अद्भुत और अतुलनीय बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले उन्हें बाबा केदार के चरणों में बैठकर विश्वास हुआ था कि यह दशक उत्तराखंड का है और आज आदि कैलाश के चरणों में बैठकर फिर विश्वास हुआ है कि उत्तराखंड विकास की नई उंचाई पर पहुंचेगा ।

उत्तराखंड से अपने जुड़ाव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अपनेपन की अनुभूति हमेशा उनके साथ रहती है और जनता भी उनके साथ अपनेपन के हक और आत्मीयता से जुड़ी रहती है । उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोग उनके साथ हर अच्छी—बुरी बात चिटिठयों के जरिए उनके साथ उसी तरह साझा करते हैं जैसे वह पूरे उत्तराखंड परिवार के एक सदस्य हों ।

इससे पहले, मोदी ने लगभग 4200 करोड़ रू की विकास योजनाओं का शिलान्यास और उदघाटन किया। इन कुल 23 परियोजनाओं से प्रदेश में आधारभूत ढ़ांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पेयजल, खेल, पर्यटन, आपदा प्रबंधन और औद्योनिकी के क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा मिलेगा ।