प्रेस एक्ट में संशोधन कर डिजिटल मीडिया व ईपेपर को भी मिले मान्यता

उत्तर प्रदेश गाजीपुर
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डिजिटल मीडिया के पत्रकारों के हक और हुकूक के लिए जेसीआई ने भरी हुंकार

गाज़ीपुर,22 मई (ए)। सरकार की उपेक्षा का शिकार बनी डिजिटल मीडिया के पंजीकरण एवं ई-पेपर की मान्यता को लेकर पत्रकारों के राष्ट्रव्यापी संगठन जर्नलिस्ट काउंसिल आफ इंडिया ने सोमवार को वर्चुअल बैठक कर सरकार से डिजिटल मीडिया व ई पेपर पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
बैठक के संचालक राष्ट्रीय संयोजक डॉ आर. सी. श्रीवास्तव ने कहा कि 1867 और 2023 के बीच हर क्षेत्र में बदलाव हुआ है। इसी के साथ पत्रकारिता के क्षेत्र में भी व्यापक परिवर्तन हुआ है। सरकार मीडिया के साथ सौतेला व्यवहार कर मीडिया को बांटने पर तुली हुई है। आजादी के पिछत्तर वर्ष के बाद भी पत्रकारों को उनका हक नहीं दिया गया है‌।
राष्ट्रीय सलाहकार समिति के सदस्य डा ए के राय ने कहा कि प्रिन्ट मीडिया का सफर, अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से होता हुआ डिजिटल मीडिया व ई-पेपर तक आ पहुंचा है। सोशल मीडिया के मार्फत डिजिटल मीडिया व ई-पेपर की पहुंच अब महानगरों, शहरों से होती हुई गांव देहातों तक हो गयी है। इनके माध्यम से छोटी बड़ी हर खबर अत्यन्त कम समय में हर व्यक्ति तक पहुंचने रगी है। इसके बावजूद सरकार की उपेक्षा के चलते आज डिजिटल मीडिया अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर है।
संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज देश में एक करोड़ से भी अधिक पत्रकार कार्य कर रहे हैं जबकि सरकार केवल जिले स्तर के पत्रकारों को और श्रमजीवी पत्रकारों को ही पत्रकार मांनती है जो अन्य पत्रकारों के साथ सौतेला व्यवहार है। जब तक डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को उनका हक नहीं मिल जाता तब तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी। आगे उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम तो सरकार को यह बताना चाहिए कि सरकार द्वारा पत्रकारिता के लिए क्या मानक निर्धारित किए गए हैं और क्या वह आज की तारीख में आदर्श मानक के रूप में स्थापित होते हैं। आज वेव मीडिया के पत्रकार भ्रम की स्थिति में हैं। जहां सरकार एक ओर इन्हे श्रमजीवी पत्रकार मान रही है, वहीं दूसरी तरफ इनको सरकारी तंत्र फर्जी पत्रकार बता रहा है।
संस्था के वरिष्ठ राष्ट्रीय पदाधिकारी अशोक झा ने कहा कि आज जबकि डिजिटल मीडिया लोगों के दिलों पर राज कर रही है तब सरकार द्वारा इस तरह का कदम उठाया जाना कहीं से भी उचित नहीं है।
प्रदेश सलाहकार समिति के वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र पांडेय ने कहा कि सरकार को आज नए सिरे से पत्रकार और पत्रकारिता से संबंधित कानूनों की समीक्षा करनी चाहिए ताकि पत्रकारों को उनका वास्तविक हक मिल सके। प्रदेश सलाहकार समिति के वरिष्ठ पत्रकार सचिन श्रीवास्तव ने कहा कि आज जब पत्रकार हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहे हैं तब उच्च पदस्थ लोगों को घबराहट होने लगी है और इसीलिए डिजिटल मीडिया के पत्रकारों का उत्पीड़न किया जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार राजेश पांडेय ने कहा कि सरकार को बरसों पुराने कानून की समीक्षा करते हुए उसमें संशोधन कर पत्रकारों को उनका वास्तविक हक देना चाहिए। वक्ताओं ने कहा कि महंगाई के इस दौर में कागज और स्याही की कीमतें आसमान छू रही हैं और छोटे अखबार अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं ऐसी स्थिति में ई पेपर, डिजिटल मीडिया आदि को नियमों में संशोधन करते हुए पंजीकृत मीडिया का दर्जा दिया जाना आवश्यक है।
देश के विभिन्न प्रातों से जूड़े पत्रकारों ने यह मांग की कि इस सन्दर्भ में देश के प्रधानमंत्री तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्री को संगठन उक्त समस्याओं से अवगत कराये और करोड़ों की संख्या में मौजूद पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए शीघ्र आवश्यक कदम उठाने की मांग करे। अन्यथा की स्थिति में पत्रकार अपने हक और हुकूक की लड़ाई के लिए दो-दो हाथ करने को मजबूर होंगे। बैठक में अम्मार आब्दी, राघवेंद्र त्रिपाठी, शिवजी भट्ट, गौरीशंकर पाण्डेय,नीरज यादव, वसीम रजा सहित काफी पत्रकारों ने भागीदारी निभाई।