प्रेस एसोसिएशन, आईडब्ल्यूपीसी ने हाथरस जा रहे पत्रकार को रास्ते में गिरफ्तार किए जाने की निंदा की

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली, सात अक्टूबर (ए)। ‘प्रेस एसोसिएशन’ और भारतीय महिला प्रेस कोर ने हाथरस जा रहे एक पत्रकार को रास्ते में गिरफ्तार किए जाने की घटना को उत्तर प्रदेश सरकार की मीडिया को ‘‘ खामोश ’’ कराने की कोशिश करार दिया तथा पत्रकार को तत्काल रिहा किए जाने की मांग की।

वरिष्ठ पत्रकार सिद्दीकी कप्पन हाथरस जिले में 19 वर्षीय दलित युवती से कथित बलात्कार और उसकी मौत की घटना के बाद की स्थिति पर समाचार संकलन के लिए वहां जा रहे थे। लेकिन उन्हें मथुरा में गिरफ्तार कर लिया गया। उनके साथ तीन लोग और थे।

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 14 सितम्बर को 19 साल की दलित युवती के साथ कथित तौर से सामूहिक बलात्कार किया गया। इसके करीब एक पखवाड़े बाद उसने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया था। कथित तौर पर माता-पिता की राजामंदी के बगैर देर रात उसका अंतिम संस्कार कर दिए जाने से मामला और बिगड़ गया।

उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को कहा था कि उसने ‘पापुलर फ्रंट आफ इंडिया’ (पीएफआई) से कथित संबंध के मामले में चार लोगों को मथुरा से गिरफ्तार किया था।

‘प्रेस एसोसिएशन’ और भारतीय महिला प्रेस कोर ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘ उत्तर प्रदेश ने दावा किया है कि पत्रकार के किसी संगठन के साथ संबंध थे लेकिन इस संबंध में कोई सबूत पेश नहीं किए गए।’’

कप्पन की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि वह समाचार संकलन के लिए हाथरस जा रहे थे।

बयान में कहा गया है कि कप्पन का लैपटॉप और फोन भी जब्त कर लिया गया है।

‘प्रेस एसोसिएशन’ और आईडब्ल्यूपीसी ने कहा कि राज्य सरकार ने हाथरस में मीडिया के प्रवेश पर दो दिनों के लिए प्रतिबंध लगा दिया, जिसने पत्रकारों को हाथरस के समाचार संकलित करने के उनके अधिकार से वंचित कर दिया। यह, संविधान द्वारा प्रदत्त बोलने की आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।

कप्पन की रिहाई और उनका सामान तत्काल लौटाए जाने की मांग करते हुए ‘प्रेस एसोसिएशन’ और आईडब्ल्यूपीसी ने कहा ने कहा कि वे ‘‘पत्रकार को गिरफ्तार कर भय का माहौल बनाने और मीडिया को खामोश करने के उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों की’’ निंदा करते हैं।

‘प्रेस एसोसिएशन’ मान्यता प्राप्त पत्रकारों का एक मीडिया निकाय है, जबकि आईडब्ल्यूपीसी महिला पत्रकारों का एक संघ है।

पीएफआई पर इस साल के शुरू में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के लिए वित्त-व्यवस्था करने का आरोप है और उप्र पुलिस ने इस संगठन पर प्रतिबंध की मांग की थी।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे एक पत्र में केरल श्रमजीवी पत्रकार संघ (केयूडब्ल्यूजे) की दिल्ली इकाई ने कप्पन की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए कहा कि वह वरिष्ठ पत्रकार हैं तथा कई मलयालम मीडिया हाउस के लिए दिल्ली में काम करते हैं।

केयूडब्ल्यूजे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी ऐसा ही पत्र लिखा है और कप्पन की रिहाई का आदेश देने का अनुरोध किया है।