भारत ने अफगानिस्तान के लोगों की मदद के रास्ते तलाशने पर दिया जोर

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (ए) भारत ने अफगानिस्तान में समावेशी सरकार की आवश्यकता को दोहराते हुए अफगान लोगों की मदद के रास्ते तलाशने पर रविवार को जोर दिया।

तीसरे भारत-मध्य एशिया संवाद को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि अफगानिस्तान को निर्बाध मानवीय सहायता पहुंचायी जाए।

भारत द्वारा दिल्ली में आयोजित इस संवाद में कजाखस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्री भाग ले रहे हैं।

जयशंकर ने कहा, ‘‘हम सभी के अफगानिस्तान के साथ गहरे ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध हैं। उस देश में हमारी चिंताएं और उद्देश्य एक जैसे हैं।’’ उन्होंने अफगानिस्तान में सही मायनों में समावेशी और सभी के प्रतिनिधित्व वाली सरकार, आतंकवाद तथा मादक पदार्थ की तस्करी के खिलाफ लड़ाई, निर्बाध मानवीय सहायता सुनिश्चित करने और महिलाओं, बच्चों एवं अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने को अहम प्राथमिकताएं बताया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें अफगानिस्तान के लोगों की सहायता करने के रास्ते तलाशने चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि भारत मध्य एशिया के साथ अपने संबंधों को अगले स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।

जयशंकर ने ‘चार सी’ दृष्टिकोण यानी वाणिज्य, क्षमता वृद्धि, कनेक्टिविटी और दो पक्षों के बीच सहयोग को बढ़ाने के लिए संपर्कों पर केंद्रित रुख अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘आज हमारी बैठक तेजी से बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था और राजनीतिक स्थिति के बीच हुई है। कोविड-19 महामारी से वैश्विक स्वास्थ्य एवं अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा है।’’

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमने जिन समाजों, आपूर्ति श्रृंखलाओं और शासन की कल्पना की थी, इसने हमारे सोचने का तरीका बदल दिया है। इसमें नए और उभरते खतरों से निपटने के लिए बहुपक्षीय बुनियादी ढांचों की अपर्याप्तता को भी उजागर किया है।’’

उन्होंने विविध आपूर्ति श्रृंखलाओं और विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक क्षेत्रीय समाधानों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत आपका स्थिर भागीदार होगा।’’

गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ऊर्जा संपन्न मध्य एशियाई देशों के साथ सहयोग बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है। अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने मध्य एशियाई देशों की महत्ता की पुष्टि कर दी है और उनमें से तीन देशों ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान की सीमाएं युद्धग्रस्त देश के साथ लगती है।