लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाई कांग्रेस, सरकार बोली: प्रधानमंत्री पर जनता को पूरा विश्वास

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली, 26 जुलाई (ए) कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के बीच बुधवार को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जिस पर चर्चा के लिए सदन ने मंजूरी भी दे दी। लेकिन सरकार ने कहा है कि जनता को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी पर पूरा विश्वास है।.लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सभी दलों के नेताओं से बातचीत करने के बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा की तिथि तय करेंगे, हालांकि कांग्रेस का कहना है कि इस पर बृहस्पतिवार से ही चर्चा होनी चाहिए।.विपक्षी दल ने यह भी कहा कि यह प्रस्ताव विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) की ओर से सामूहिक तौर पर लाया गया है।

मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी से संसद के भीतर जवाब मांग रहे विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की ओर से कांग्रेस ने इस रणनीति के साथ यह कदम उठाया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सदन में बोलने के लिए बाध्य किया जा सके।

विपक्ष से जुड़े सूत्रों ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में सभी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है।

निचले सदन में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई द्वारा पेश इस प्रस्ताव को लोकसभा ने चर्चा के लिए स्वीकृति प्रदान की। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करके इस पर चर्चा की तिथि के बारे में अवगत कराएंगे।

विगत नौ वर्षों में यह दूसरा अवसर होगा जब मोदी सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी। इससे पहले, जुलाई, 2018 में मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था। इस अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ 126 वोट पड़े थे, जबकि इसके खिलाफ 325 सांसदों ने वोट दिया था।

इस बार भी अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से तय है क्योंकि संख्याबल स्पष्ट रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में है। लोकसभा की 543 सीट में से पांच अभी रिक्त हैं। इनमें से 330 से अधिक सांसद भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अन्य घटक दलों के हैं।

कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन के उसके साथी दलों के सदस्यों की संख्या 140 से अधिक है। करीब 60 सांसदों का संबंध उन दलों से है जो दोनों गठबंधनों का हिस्सा नहीं है।

अविश्वास प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि देश के लोगों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा पर पूरा विश्वास है।

उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी जी के पिछले कार्यकाल में भी यही किया था और जनता ने उसे सबक सिखाया था। इस बार फिर देश की जनता इन लोगों को सबक सिखाएगी।’’

संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह अविश्वास प्रस्ताव आने दीजिए, सरकार तैयार है।

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘नियम के अनुसार जब अविश्वास प्रस्ताव को चर्चा के लिए मंजूर कर लिया जाता है तो उसके 10 दिनों के भीतर सदन में चर्चा होती है। लेकिन लोकसभा की परंपरा रही है कि जब भी यह प्रस्ताव आता है तो बाकी सारे कार्यों को रोककर इस पर चर्चा होती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा आग्रह है कि लोकसभा अध्यक्ष को प्राथमिकता के आधार पर इसे लेना चाहिए और इस पर कल ही चर्चा आरंभ होनी चाहिए तथा जल्द से जल्द मतदान होना चाहिए।’’

लोकसभा में शून्यकाल के दौरान बिरला ने अविश्वास प्रस्ताव से जुड़े नोटिस का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘मुझे सदन को सूचित करना है कि गौरव गोगोई से नियम 198 के तहत मंत्रिपरिषद में अविश्वास प्रस्ताव का अनुरोध प्राप्त हुआ है…कृपया आप (गोगोई) सदन की अनुमति प्राप्त करें।’’

इसके बाद गोगोई ने कहा, ‘‘मैं निम्नलिखित प्रस्ताव के लिए सदन की अनुमति चाहता हूं-यह सभा मंत्रिपरिषद में विश्वास का अभाव प्रकट करती है।’’

लोकसभा अध्यक्ष ने इस प्रस्ताव की अनुमति देने का समर्थन करने वाले सदस्यों से अपने स्थान पर खड़े होने के लिए कहा। इस पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्य खड़े हो गए।

इसके बाद गोगोई ने कहा, ‘‘मैं निम्नलिखित प्रस्ताव के लिए सदन की अनुमति चाहता हूं-यह सभा मंत्रिपरिषद में विश्वास का अभाव प्रकट करती है।’’

लोकसभा अध्यक्ष ने इस प्रस्ताव की अनुमति देने का समर्थन करने वाले सदस्यों से अपने स्थान पर खड़े होने के लिए कहा। इस पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्य खड़े हो गए।

इसके बाद बिरला ने कहा, ‘‘ इस प्रस्ताव को अनुमति दी जाती है। मैं सभी दलों के नेताओं से चर्चा करके उचित समय पर इस प्रस्ताव पर चर्चा कराने की तिथि के बारे में आप लोगों को अवगत करा दूंगा।’’

अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा पर चर्चा के लिए मंजूरी मिलने के बाद विपक्ष के कुछ सदस्यों ने ‘चक दे इंडिया’ का नारा लगाया।

गोगोई असम से आते हैं और वह लोकसभा में कालियाबोर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने भी लोकसभा में अपने नेता नमा नागेश्वर राव के माध्यम से सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है।

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों की मंगलवार को हुई बैठक में केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के बारे में फैसला हुआ था।

कांग्रेस ने अपने सदस्यों को व्हिप जारी करके कहा था कि वे बुधवार को सुबह साढ़े दस बजे संसद भवन स्थित पार्टी संसदीय दल के कार्यालय में मौजूद रहें।

इस अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से तय है, लेकिन विपक्ष की दलील है कि वे चर्चा के दौरान मणिपुर मुद्दे पर सरकार को घेरेंगे और जनता के बीच धारणा बनाने के लिहाज से सरकार को मात देने में सफल रहेंगे।

अविश्वास प्रस्ताव को चर्चा के लिए जरूरी है कि उसे कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन हासिल हो। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तिथि तय करने के संदर्भ में 10 दिनों के भीतर फैसला करना होता है। सदन की मंजूरी के बाद इस पर चर्चा और मतदान होता है। अगर सत्तापक्ष इस प्रस्ताव पर हुए मतदान में हार जाता है तो प्रधानमंत्री समेत पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है।

कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मॉनसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद के मॉनसून सत्र के पहले चार दिन दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई।

प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर की घटना पर क्षोभ व्यक्त करते हुए 20 जुलाई को संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा था कि यह घटना किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार करने वाली है और इससे पूरे देश की बेइज्जती हुई है तथा इस मामले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि विपक्षी दलों को जनता से डरना चाहिए और मणिपुर जैसे संवेदनशील विषय पर चर्चा के लिए सदन में उचित माहौल बनाना चाहिए तथा सरकार को चर्चा से कोई डर नहीं है।

मणिपुर में दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न का वीडियो गत बुधवार, 19 जुलाई को सामने आया था जिसके बाद देश भर में आक्रोश फैल गया और विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी हुए। अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है।

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।