लोकसभा में जैव विविधता संशोधन विधेयक पेश

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (ए) विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच बृहस्पतिवार को लोकसभा में जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया गया जिसमें जैव संसाधनों का उपयोग करते अनुसंधान को तेज करके, पेटेंट आवेदन की प्रक्रिया एवं अनुसंधान परिणामों को सुगम बनाने पर जोर दिया गया है।

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया। विपक्षी सदस्य उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा अदालत में दिये आवेदन की पृष्ठभूमि में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग करते हुए हंगामा कर रहे थे।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि जैव विविधता संशोधन विधेयक 2021 में अन्य बातों के साथ औषधीय पौधों की उपज बढ़ाकर वन्य औषधि संबंधी पौधों पर दबाव कम करने तथा भारतीय औषधि प्रणाली को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया है।

इसमें जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र संधि और नागोया प्रोटोकाल के उद्देश्यों से समझौता किये बिना भारत में उपलब्ध जैव संसाधनों का उपयोग करते हुए अनुसंधान को तेज करके, पेटेंट आवेदन की प्रक्रिया एवं अनुसंधान परिणामों को सुगम बनाने पर जोर दिया गया है।

विधेयक में कुछ उपबंधों के गैर आपराधिक बनाने की बात कही गई है। इसमें राष्ट्रीय हितों से समझौता किये बिना जैव संसाधनों की श्रृंखला में अधिक निवेश लाने पर जोर दिया गया है।

इस विधेयक के माध्यम से जैव विविधता अधिनियम 2002 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है।

जैव विविधता अधिनियम 2002 को जैव विविधता के संरक्षण, इसके अवयवों के सतत उपयोग और जैव संसाधनों के निहित लाभों में उचित एवं साम्य बंटवारा करने तथा उससे संबंधित विषयों का उपबंध करने के लिये अधिनियमित किया गया था।

यह अधिनियम पहुंच एवं फायदों में हिस्सा बांटने पर जैव विविधता और नागोया प्रोटोकाल के संरक्षण के अधीन भारतीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये है और यह सुनिश्चित करने के लिये है कि जैव संसाधनों एवं परंपरागत ज्ञान के उपयोग से व्युत्पन्न लाभ स्वदेशी और स्थानीय समुदायों के बीच उचित और साम्यपूर्ण तरीके से बांटे जाएं।

इसमें पेटेंट परिणामों में अंतरण और जैव संसाधनों के वाणिज्यिक उपयोग के लिये जैव संसाधनों तक पहुंच और फायदों के बंटवारे की बात कही गई है।

इस पृष्ठभूमि में भारतीय औषधि प्रणाली क्षेत्र, बीज क्षेत्र, उद्योग क्षेत्र तथा अनुसंधान क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करके पक्षकारों द्वारा सहयोगपूर्ण अनुसंधान एवं निवेश के लिये अनुकूल वातावरण को प्रोत्साहित करके, पेटेंट की आवंटन प्रक्रिया के सरलीकरण, स्थानीय समुदायों तक निर्बाध पहुंच और फायदों में हिस्सा बांटने के दायरे का विस्तार करने तथा जैव संसाधनों का संरक्षण करने के लिये अनुपालन बोझ को सरल एवं कारगर बनाने के संबंध में कुछ चिंताएं व्यक्त की गई थीं।