वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने न्याय वितरण प्रणाली को सुव्यस्थित करने के लिए सरकार, उच्चतम न्यायालय को सराहा

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: 28 जनवरी (ए) वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने रविवार को उच्चतम न्यायालय को विश्व की सर्वोत्तम न्यायिक संस्थाओं में से एक करार देते हुए देश में न्याय वितरण प्रणाली को सुव्यस्थित करने के लिए सरकार और शीर्ष अदालत की ओर से उठाए गए कदमों की सराहना की।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा और उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष अदिश अग्रवाल यहां शीर्ष अदालत की हीरक जयंती के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।मिश्रा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने पूर्व और मौजूदा मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों और दिग्गज अधिवक्ताओं के उत्कृष्ट योगदान के कारण ‘दुनिया की बेहतरीन न्यायिक संस्थाओं में से एक’ के रूप में अपनी प्रतिष्ठा अर्जित की है।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय में पहले सात न्यायाधीश और एक मुख्य न्यायाधीश होते थे, लेकिन अब कुल 34 न्यायाधीश हैं।

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत को दुनिया की सबसे शक्तिशाली संस्था कहा जाता है। मिश्रा ने कहा, ‘‘इसने संविधान की सर्वोच्चता और इसके तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों को बनाए रखने के लिए कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं। हमारा उच्चतम न्यायालय हमारी संसद की शक्तियों और सर्वोच्चता को पूरी तरह से मान्यता देता है और इसने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने और समलैंगिक विवाह जैसे मामलों में यह कहते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया कि यह संसद के दायरे में आता है।’’

एससीबीए के अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने पूरी तरह से स्वतंत्र, समावेशी और विविध होने की पहचान बनाई है और संविधान में निहित आदर्शों के साथ मजबूती से खड़ा है।

बीसीआई प्रमुख मिश्रा ने कहा कि जनहित याचिका (पीआईएल) की अवधारणा शीर्ष अदालत का नवाचार है और दुनिया में कोई भी अन्य अदालत इस ‘असाधारण क्षेत्राधिकार’ का उपयोग नहीं कर रही है।

मिश्रा ने कहा कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीश प्रतिदिन 60 से 100 मामलों की सुनवाई करते हैं और वे प्रत्येक मामले के लिए अच्छी तरह से तैयारी करते हैं तथा किसी भी अन्य देश की शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों में इस तरह के जटिल काम करने की क्षमता या उत्साह नहीं है।