इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा की सीईओ के खिलाफ जारी किया गैर जमानती वारंट,कोर्ट में पेश करने का आदेश

उत्तर प्रदेश प्रयागराज
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प्रयागराज, 06 मई (ए)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण से जुड़े अवमानना के एक मामले में नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रितु महेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट (NBW) जारी किया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर सीईओ को पुलिस हिरासत में पेश करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही गौतमबुद्ध नगर के सीजेएम को वारंट भेजकर उसका तामीला कराने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने मनोरमा कुच्छल की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि क्या सीईओ की मर्जी से चलेगा न्यायालय। नोएडा की सीईओ को आदेश दिया गया था कि वह दस बजे कोर्ट में हाजिर होंगी। इसके बावजूद उन्होंने एक ऐसी फ्लाइट चुनी जो दिल्ली से साढ़े दस बजे उड़ान भरेगी। यह बेहद अशोभनीय है। क्या न्यायालय उनकी सुविधा के हिसाब से काम करेगा। एक संस्थान का मुख्य कार्यपालक अधिकारी स्तर का अफसर यह चाहता है कि उसकी मर्जी के हिसाब से मुकदमे में सुनवाई की जाए। 

कोर्ट ने गत 28 अप्रैल के आदेश में रितु महेश्वरी से चार मई की सुनवाई में हाजिर रहने को कहा था। उस दिन भी रितु महेश्वरी हाजिर नहीं हुई थीं। गत दिवस मामले की सुनवाई शुरू हुई तो नोएडा के वकील ने कोर्ट को बताया कि रितु महेश्वरी हवाई जहाज से आ रही हैं। उनकी फ्लाइट साढ़े दस बजे दिल्ली से उड़ान भरेगी। कोर्ट ने टिप्पणी की कि उन्हें दस बजे न्यायालय में हाजिर हो जाना चाहिए था। यह नोएडा की सीईओ का अनुचित कामकाज और व्यवहार है। यह कोर्ट की अवमानना के दायरे में आता है। सीईओ ने जानबूझकर न्यायालय की अवमानना की है।
नोएडा ने अवैधानिक रूप से याची की जमीन पर कब्जा कर लिया। उसे मुआवजे के तौर पर एक पैसा नहीं दिया गया। याची एक के बाद एक लगातार कोर्ट के सामने अपना हक मांग रहा है। नोएडा की सीईओ के खिलाफ अवमानना प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बावजूद वह हाजिर नहीं हुईं। उनकी ओर से कहा जाता है कि वह जब तक नहीं आ जाती हैं, तब तक मामले में सुनवाई न की जाए। कोर्ट मानती है कि नोएडा की सीईओ का यह व्यवहार जानबूझकर न्यायालय का असम्मान करना है। एक संस्थान का मुख्य कार्यपालक अधिकारी स्तर का अफ़सर यह चाहता है कि उसकी मर्जी के हिसाब से मुकदमे में सुनवाई की जाए।
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा नोएडा विकास प्राधिकरण ने वर्ष 1990 में याची की जमीन का अधिग्रहण किया था। अधिग्रहण के लिए उचित प्रक्रिया और कानून का पालन नहीं किया गया। प्राधिकरण ने तब भी याची की जमीन को अपने कब्जे में ले लिया था। उस पर निर्माण भी कर दिया गया है। यह पूरी तरह अवैधानिक है। याची को उसकी जमीन का उचित मुआवजा दिए बिना संपत्ति में बदलाव कर देना अवैधानिक है। नोएडा की सीईओ रितु महेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का यह पर्याप्त आधार है। मामले पर अगली सुनवाई 13 मई को होगी।