ईडब्ल्यूएस कोटे से नियुक्ति मामला: बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई ने असिस्‍टेंट प्रोफेसर पद से दिया इस्‍तीफा

उत्तर प्रदेश लखनऊ
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लखनऊ, 26 मई (ए)। उत्‍तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी के भाई डा. अरुण द्विवेदी ने सिद्धार्थ विश्‍वविद्यालय में असिस्‍टेंट प्रोफेसर पद से व्‍यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस्‍तीफा दे दिया है। विवि के कुलपति प्रो.सुरेन्‍द्र दुबे ने उनका इस्‍तीफा स्‍वीकार कर लिया है।  गौरतलब है कि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में मंत्री के भाई की नियुक्ति ईडब्ल्यूएस कोटे से हुई थी। विवादों में घिरने के बाद उन्‍होंने यह कदम उठाया है। डा. अरुण पर आरोप है कि उन्‍होंने अपनी पत्‍नी के नौकरी में रहते हुए और उन्‍हें करीब 70 हजार रुपए मासिक से ज्‍यादा वेतन मिलते हुए भी गलत ढंग से ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट हासिल किया था। डा. अरुण भी पूर्व में वनस्थली विश्वविद्यालय में नौकरी करते थे।इस्‍तीफा देने के बाद अरुण द्विवेदी ने कहा कि व्‍यक्तिगत कारणों से वह इस्‍तीफा दे रहे हैं। मंत्री के भाई की ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य अभ्यर्थी) में नियुक्ति के मामले ने काफी तूल पकड़ लिया था। विपक्षी दल इसे गरमाने में जुटे थे तो आम आदमी पार्टी के नेताओं ने बकायदा इस पर आंदोलन शुरू कर दिया था। इस बीच राजभवन ने भी सिद्धार्थ विवि के कुलपति से पूरे मामले में जवाब-तलब किया था। मिली जानकारी के अनुसार अरुण द्विवेदी ने सिद्धार्थ विवि के मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर 21 मई को ज्वाइन किया था। इसके तुरंत बाद से ही विवाद शुरू हो गया था। सोशल मीडिया में तमाम पोस्‍ट वायरल हो रहे थे। 
आरोप लगा कि मंत्री ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गलत ढंग से अपने भाई की नियुक्ति विवि में करा दी। राजभवन से जवाब-तलब किए जाने के बाद विवि में हड़कंप मच गया था। विश्वविद्यालय प्रशासन से जुड़े अफसर जवाब तैयार करने में जुटे थे। इस बारे में कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे का कहना है कि राजभवन से मंत्री के भाई की नियुक्ति के मामले में जो भी जानकारी मांगी गई थी, उसे भेज दिया गया है। 
कुलपति ने कहा था कि वह अरुण के प्रमाणपत्र की जांच एक महीने के अंदर कराएंगे। उनके मुताबिक नियुक्ति के बाद छह महीने के अंदर प्रमाणपत्रों की जांच करानी होती है लेकिन इस मामले में वह महीने भर के अंदर जांच करा लेंगे। जांच में अगर रिपोर्ट निगेटिव रहती है तो नियुक्ति निरस्त हो जाएगी और यदि रिपोर्ट सही मिलती है तो वह सेवा में बने रहेंगे। इस बीच डा.अरुण द्विवेदी ने बुधवार को खुद इस्‍तीफा देकर मामले को लेकर छिड़े विवाद को थामने की कोशिश की है।