वर्ष 2010 के दोहरे हत्याकांड में अदालत ने पांच आरोपियों को बरी किया

राष्ट्रीय
Spread the love

दिल्ली, 19 नवंबर (ए) दिल्ली की एक अदालत ने 2010 के दोहरे हत्याकांड में पांच आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि महत्वपूर्ण गवाह की गवाही विश्वसनीय नहीं थी और परिस्थितिजन्य साक्ष्य निर्णायक रूप से उनके अपराध को साबित करने में विफल रहे।.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सचिन सांगवान, आरोपी मोहम्मद इलियास, मोहम्मद यामीन, गुलफाम, राज कुमार और सुरेंद्र के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे।.वर्ष 2022 में मिंटू नामक आरोपी की मौत के बाद उसके खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी गई थी।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, इलियास ने कथित तौर पर अपनी पत्नी शबाना की हत्या की योजना बनाई, क्योंकि उसे उसके(पत्नी के) विवाहेतर संबंध होने का संदेह था तथा पत्नी की “हत्या” के लिए उसने तीन लाख रुपए देकर अन्य आरोपियों को शामिल किया।

अभियोजन पक्ष ने कहा कि इलियास के घर की टोह लेने के बाद, आरोपियों ने कथित तौर पर 12 अक्टूबर 2010 को शबाना की उसके घर में हत्या कर दी। उन्होंने इलियास की मां की भी हत्या कर दी क्योंकि उन्हें लगा कि वह उन्हें पहचान लेगी।

एएसजे सांगवान ने कहा कि घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था, न ही किसी ने कथित हत्यारों को पीड़ितों के घर में प्रवेश करते या बाहर निकलते देखा था।

उन्होंने कहा, “ऐसा कोई गवाह नहीं है, जिसने कथित हत्यारों को घटना से पहले पीड़ितों के घर का सर्वेक्षण करते हुए देखा हो या अपराध स्थल पर किसी भी आरोपी के कोई निशान और उनकी मौजूदगी को दर्शाने वाले कोई अन्य जैविक सबूत जैसे बाल, खून, पसीना आदि नहीं मिले।”

किसी भी प्रत्यक्ष साक्ष्य के अभाव को रेखांकित करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है।

अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के मामले का मुख्य गवाह अंकित शर्मा नामक एक वैन चालक था। उसकी वैन का इस्तेमाल आरोपियों ने घटना से पहले टोह लेने और घटना की तारीख पर वारदात को अंजाम देने के लिए किया था।

अदालत ने कहा कि शर्मा की गवाही ‘अभियोजन साक्ष्य का केंद्र’ थी और फिर भी इसे विश्वसनीय नहीं पाया गया।