पूर्व नौकरशाह सुखबीर सिंह संधू और ज्ञानेश कुमार होंगे निर्वाचन आयुक्त: अधीर रंजन चौधरी

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: 14 मार्च (ए) पूर्व नौकरशाह सुखबीर सिंह संधू और ज्ञानेश कुमार देश के नए निर्वाचन आयुक्त होंगे। निर्वाचन आयोग में निर्वाचन आयुक्तों की दो रिक्तियों को भरने के लिए बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में दोनों पूर्व नौकरशाहों के नाम को अंतिम रूप दिया गया।

समिति के सदस्य व लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में यह दावा किया। उन्होंने हालांकि चयन पर असहमति नोट देते हुए प्रक्रिया पर सवाल उठाए।कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग में दोनों पदों के लिए छांटे गए उम्मीदवारों के नाम मांगे थे लेकिन समिति की बैठक से एक रात पहले उन्हें 212 नाम उपलब्ध कराए गए।

 समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं। सरकार द्वारा मनोनीत एक केंद्रीय मंत्री- गृह मंत्री अमित शाह- और लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता समिति में सदस्य हैं।

चौधरी ने बैठक खत्म होने के तुरंत बाद अपने आवास पर संवाददाताओं से कहा कि दो चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए समिति के समक्ष छह नाम आए और संधू तथा कुमार के पक्ष में उच्चाधिकार प्राप्त समिति के ज्यादातर सदस्यों ने फैसला किया।

उन्होंने कहा, ‘‘चयन समिति ने छह नाम प्रस्तुत किए थे। इनमें उत्पल कुमार सिंह, प्रदीप कुमार त्रिपाठी, ज्ञानेश कुमार, इंदीवर पांडे, सुखबीर सिंह संधू और गंगाधर राहत के नाम शामिल थे। ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू का चयन निर्वाचन आयुक्त के रूप में किया गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इन लोगों की पृष्ठभूमि, अनुभव और ईमानदारी के बारे में जानकारी नहीं थी और मुझे प्रक्रियागत खामियां पसंद नहीं आईं, लेकिन नियुक्तियां की गईं।’’

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को जब निरस्त किया गया था तब कुमार गृह मंत्रालय में पदस्थापित थे। संधू उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव हैं।

भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1988 बैच के अधिकारी कुमार और संधू क्रमश: केरल और उत्तराखंड कैडर से हैं।

चौधरी ने कहा, ‘‘मैंने अपना असहमति नोट दिया है क्योंकि मेरे पास 212 नाम थे और सरकार की ओर से केवल छह नामों का प्रस्ताव था। मैं सहमत नहीं था।’’

उन्होंने दावा किया कि निर्वाचन आयोग में शीर्ष पदों पर आसीन होने वाले उम्मीदवारों के नाम महज 10 मिनट पहले बताये गये। चौधरी ने कहा कि यह महज औपचारिकता के लिए था।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनकी नियुक्ति का विरोध किया। मुझे केवल औपचारिकता के लिए बुलाया गया और उनकी नियुक्ति भी औपचारिकता है। अगर सीजेआई (प्रधान न्यायाधीश) होते तो स्थिति अलग हो सकती थी।’’उन्होंने कहा कि 212 नामों की सूची उन्हें कल देर रात ही दी गयी।

चौधरी ने कहा कि उन्होंने खुद किसी का नाम नहीं लिया और केवल प्रक्रिया का मुद्दा उठाया।

उन्होंने कहा कि इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि कानून मंत्री की अध्यक्षता वाली सर्च कमेटी के समक्ष आए 200 से ज्यादा नामों में से छह नामों को कैसे छांटा गया।

बैठक में सर्च कमेटी के प्रमुख कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी मौजूद थे।

कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए अपनायी गई प्रक्रिया के कारण अपनी असहमति जताई। उन्होंने कहा कि सरकार ने उन लोगों के नाम चुने, जिन्हें वह चाहती थी।

चौधरी ने कहा कि उन्होंने पहले भी सरकार को पत्र लिखकर ‘शॉर्टलिस्ट’ किए गए नामों के बारे में पूछा था। उन्होंने कहा कि लेकिन इसमें 212 नाम दिए गए जबकि छह ‘शॉर्टलिस्ट’ किए गए उम्मीदवारों के नाम बैठक के दौरान दिए गए।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे दो चुनाव आयुक्तों का चयन करने के लिए आमंत्रित किया गया था। लेकिन यह तय था कि चुने जा चुके दो लोगों का ही चयन किया जाएगा। हालांकि, मैंने उचित तरीके से हस्तक्षेप करने की कोशिश की … यही कारण है कि दिल्ली पहुंचने से पहले मैंने एक पत्र लिखकर शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों के बारे में पूछा था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने मुझे सूची दी, लेकिन उसमें सभी 212 उम्मीदवारों के नाम थे। क्या मानवीय रूप से मेरे लिए 212 नामों की जांच करना संभव है ताकि उनमें से सबसे सक्षम व्यक्तियों का पता लगाया जा सके।’’

उन्होंने कहा कि सर्च कमेटी द्वारा जांच और चयन के बाद और बैठक से 10 मिनट पहले उन्हें छह नाम दिखाए गए। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने निश्चित रूप से अपना असहमति नोट विशेष रूप से रखा है।’’

अनूप चंद्र पांडे के 14 फरवरी को सेवानिवृत्त होने और लोकसभा चुनाव से पहले अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग में रिक्तियां आई थीं। गोयल के इस्तीफे की अधिसूचना गत शनिवार को जारी की गई थी।

चौधरी ने कहा कि वह बैठक में इसलिए शामिल हुए क्योंकि सभी को लगता है कि चुनाव आयुक्तों के पद खाली नहीं रहने चाहिए।

उन्होंने कहा कि चयन समिति में ‘बहुमत’ सरकार के पक्ष में है और जो वह चाहेगी वही होगा। उन्होंने कहा कि ‘सरकार की इच्छा’ के अनुसार चुनाव आयुक्तों का चयन किया जाएगा।

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘सुखबीर संधू और ज्ञानेश कुमार को चुनाव आयुक्त के रूप में चयन के लिए बधाई। दोनों के नाम शानदार रिकॉर्ड हैं। कठिन जिम्मेदारी के निर्वहन के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।’’

चयन समिति की सिफारिश के आधार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू निर्वाचन आयोग के दो सदस्यों की नियुक्ति करेंगी।

एक बार नियुक्तियां अधिसूचित हो जाने के बाद नए कानून के तहत की जाने वाली ये पहली नियुक्तियां होंगी।

कानून तीन-सदस्यीय चयन समिति को ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करने की शक्ति भी देता है जिसे चयन समिति ने ‘शॉर्टलिस्ट’ नहीं किया है।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति पर नया कानून हाल में लागू होने से पहले, निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी और परंपरा के अनुसार, सबसे वरिष्ठ को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाता था।