यूपी में पुलिस को छका रही माफिया डॉन की ये पत्नियां

उत्तर प्रदेश लखनऊ
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लखनऊ,18 जून (ए)। यूपी में माफिया डॉन की चार पत्नियों ने पुलिस को महीनों से इस कदर छका रखा है कि इनको पकड़ने का पुलिस का हर प्रयास असफल साबित हो रहा है। चारों को विभिन्न आपराधिक मामलों में साजिशकर्ता के रूप में नामित किया गया है। मारे गए अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन (51) पुलिस की सूची में सबसे वांछित महिला है।

शाइस्ता 24 फरवरी से फरार है, जब राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने दावा किया कि शाइस्ता हत्या के पीछे की मास्टरमाइंड थी, और उसने शूटरों को पैसे दिए थे। हत्याकांड में शामिल शूटरों में से एक शाइस्ता के तीसरे बेटे असद को 13 अप्रैल को झांसी में स्पेशल टास्क फोर्स ने मार गिराया। दो दिन बाद 15 अप्रैल को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को तीन हमलावरों ने पुलिस हिरासत में गोली मार दी थी।

शाइस्ता के पति, बेटे और देवर को कसारी मसारी परिवार के कब्रिस्तान में एक दूसरे के पास दफनाया गया। लेकिन वह उनके लिए शोक मनाने नहीं आई।

एसटीएफ इस उम्मीद में कब्रिस्तान में अलर्ट पर थी कि शाइस्ता आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। करीब चार महीने हो गए हैं, लेकिन शाइस्ता परवीन का कोई सुराग नहीं है। उस पर 50 हजार का इनाम भी है। पुलिस को चकमा देने वाली दूसरी महिला मारे गए गैंगस्टर अशरफ की पत्नी जैनब फातिमा है। जैनब भी उमेश पाल हत्याकांड के बाद से फरार है और जब उसके पति की हत्या हुई, तब भी नहीं आई। वह उमेश पाल हत्याकांड में भी आरोपी है। जायदाद को लेकर शाइस्ता और जैनब के बीच अनबन की खबरें आ रही हैं। सूत्रों का यह भी दावा है कि दोनों एक साथ छिपी हुई हैं और आत्मसमर्पण करने के लिए सही समय का इंतजार कर रही हैं।

फरार तीसरी पत्नी का नाम जेल में बंद डॉन मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशा अंसारी है। मुख्तार अंसारी के अलावा उनके बेटे अब्बास अंसारी और बहू निकहत अंसारी जेल में हैं, जबकि मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी को भी हाल ही में गिरफ्तार किया गया था। अफशां पर नौ मामले दर्ज किए गए हैं, इनमें से कुछ मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित हैं।

पुलिस अंसारी बंधुओं के हर संभावित ठिकाने पर छापेमारी कर रही है लेकिन अफशां अंसारी पकड़ से बाहर है। फरार चौथी महिला पायल माहेश्वरी है, जो गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी जीवा की पत्नी है, जिसकी 7 जून को कोर्ट रूम के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पायल माहेश्वरी ने अपनी जान को खतरा होने का दावा करते हुए 8 जून को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसे यह भी डर था कि उसके पति की मृत्यु के बाद उसे गिरफ्तार किया जा सकता है और उसने आग्रह किया कि वह अपने पति के अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहती है।
सुप्रीम कोर्ट ने पायल माहेश्वरी की याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया और बाद में, अपने पति के दाह संस्कार में शामिल नहीं हुईं। पायल पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। एसटीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, इन चारों महिलाओं की गिरफ्तारी में देरी से यूपी पुलिस की छवि खराब हुई है। उन्होंने कहा, शाइस्ता परवीन, जैनब और अफशा अंसारी के मामले में, बुर्का एक बड़ी बाधा है। तीनों महिलाएं बुर्के में घूमती हैं, इससे उन्हें पहचान लगभग असंभव हो जाता है जब तक कि हमारे पास निश्चित जानकारी न हो। पायल भी भूमिगत हो गई।