अब पानी में भी मिला कोरोना वायरस,गंगा में शव मिलने के बाद शुरू हुई जांच

राष्ट्रीय
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लखनऊ, 25 मई (ए)। देश में फैली कोरोना महामारी के बीच
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अध्ययन में पानी में भी कोरोना वायरस पाया गया है। इस क्रम में राजधानी लखनऊ में तीन जगह से लिए गए सैंपल में एक सैंपल पॉजिटिव मिला है। अब पानी में फैले वायरस का मनुष्य पर कितना असर होगा, इसका अध्ययन किया जा रहा है। यह अध्ययन एसजीपीजीआई का माइक्रोबायोलॉजी विभाग कर रहा है।
विभिन्न नदियों में शव बहाए जाने के बाद आईसीएमआर और डब्ल्यूएचओ ने देशभर में अध्ययन कराने की योजना बनाई। इसके तहत देशभर में 8 सेंटर बनाए गए। यूपी का सेंटर एसजीपीजीआई को बनाया गया। लखनऊ में सर्वाधिक कोरोना वायरस से प्रभावित लोग मिल रहे हैं। ऐसे में यहां सीवेज सैंपल टेस्टिंग की योजना बनाई गई। तीन जगह से सीवरेज के सैंपल लेकर एसजीपीजीआई केे माइक्रोबायोलॉजी विभाग में जांच की गई। एक सैंपल में कोरोना वायरस मिला है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि पानी से संक्रमण फैलने के मामले में नए सिरे से अध्ययन किया जा सकता है। एसजीपीजीआई की माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर उज्ज्वला घोषाल ने कहा कि भविष्य में पूरे प्रदेश के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया जा सकता है।
एसजीपीजीआई की माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर उज्ज्वला घोषाल ने बताया कि आईसीएमआर-डब्लूएचओ द्वारा देश भर में सीवेज सैंपलिंग शुरू की गई। लखनऊ में खदरा के रूकपुर, घंटाघर व  मछली मोहाल के ड्रेनेज से सीवेज सैंपल लिए गए। यह वह स्थान है जहां पूरे मोहल्ले का सीवेज एक स्थान पर गिरता है। 19 मई को इस सैंपल की जांच की गई तो रूकपुर खदरा के सीवेज के सैंपल में कोरोना वायरस पाया गया है।पूरी स्थिति से आईसीएमआर और डब्ल्यूएचओ को अवगत करा दिया गया है। उन्होंने बताया कि अभी यह प्राथमिक अध्ययन है। भविष्य में इस पर विस्तार से अध्ययन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मुंबई के सीवेज के सैंपल में भी वायरस मिलने की जानकारी मिली है।
डॉ उज्जवला घोषाल ने बताया कि कुछ समय पहले पीजीआई के मरीजों में अध्ययन किया गया था उस वक्त यह पाया गया था कि मल में मौजूद वायरस पानी में पहुंच सकता है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि कोरोनावायरस से पीड़ित तमाम मरीजों के स्टूल (मल) से सीवेज तक कोरोनावायरस पहुंचा हो। कई अन्य शोध पत्रों में भी यह बात सामने आई है कि 50 फ़ीसदी मरीजों के स्टूल के वायरस सीवेज तक पहुंच जाते हैं।
डॉ उज्ज्वला घोषाल ने बताया कि सीवेज के जरिए नदियों तक पानी पहुंचता है। ऐसे में यह आम लोगों के लिए कितना नुकसान देह होगा इस पर अध्ययन किया जाना बाकी है। संभव है कि भविष्य में इस पर विस्तार से अध्ययन किया जाए तो पानी के जरिए संक्रमण फैलने की स्थिति साफ होगी, अभी इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता। जहां तक पानी में आने की बात है तो अभी शव से संक्रमण फैलने के बारे में कोई अध्ययन नहीं किया गया है।