नयी दिल्ली: 19 जनवरी (ए) उच्चतम न्यायालय इस कानूनी सवाल की पड़ताल करने के लिए सहमत हो गया है कि क्या सरकारी सहायता प्राप्त ईसाई मिशनरी स्कूलों में शिक्षकों के रूप में काम करने वाली नन और पादरी आयकर छूट के हकदार हैं?
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने बृहस्पतिवार को वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार की इन दलीलों पर गौर किया कि इस मुद्दे पर तमिलनाडु और केरल के कई ‘डायोसिस’ और धार्मिक संगठनों की याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है।पीठ उस याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने के लिए सहमत हो गई, जिसमें यह मुद्दा उठाया गया है कि क्या शिक्षकों के रूप में काम करने वाली नन और पादरियों की आय पर आयकर लगाया जा सकता है।
आयकर विभाग ने दिसंबर, 2014 में शैक्षणिक अधिकारियों से शिक्षक के रूप में काम करने वाले व्यक्तियों से टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लागू करने को कहा था।
तमिलनाडु और केरल के लगभग 100 ‘डायोसिस’ और धार्मिक संगठनों की याचिकाओं पर उच्च न्यायालयों के सहमत नहीं होने के बाद शीर्ष अदालत में अपील दायर की गई है।
याचिका में कहा गया है कि नन और पादरियों की आय स्कूल चलाने वाले धार्मिक संगठनों की आय बन जाती है और ये शिक्षक व्यक्तिगत रूप से वेतन के रूप में भुगतान की गई धनराशि अर्जित नहीं करते हैं।
मद्रास और केरल के उच्च न्यायालयों ने आयकर छूट संबंधी याचिकाओं को खारिज कर दिया था